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दर्द ए दिग्विजय - अपने कुनबे का ख्याल या कांग्रेस के बुरे हाल का मलाल?

Digvijay Singh Social Media Post: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने CWC की बैठक के बीच सोशल मीडिया पर पार्टी नेतृत्व को आईना दिखाकर सियासी भूचाल ला दिया है.

दर्द ए दिग्विजय - अपने कुनबे का ख्याल या कांग्रेस के बुरे हाल का मलाल?
दिग्विजय का 'दर्द-ए-संगठन': क्या राहुल गांधी बदलेंगे कांग्रेस की तकदीर?
IANS

Delhi News: राजनीति में टाइमिंग ही सब कुछ होती है. जब दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक (CWC Meeting) मनरेगा (MGNREGA) का नाम बदलकर (VB-G RAM G) करने के विरोध में रणनीति बना रही थी, ठीक उसी समय मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने पूरी पार्टी में हलचल मचा दी. यह केवल एक पोस्ट नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर सुलग रहे उस असंतोष की आवाज है, जो अब 'सार्वजनिक' हो चुकी है.

'सबसे बड़ी दिक्कत राहुल गांधी को मनाने की है'

दिग्विजय सिंह ने सीधे राहुल गांधी को संबोधित करते हुए लिखा कि जैसे देश में चुनाव आयोग में सुधार की जरूरत है, वैसे ही कांग्रेस संगठन को भी विकेंद्रीकरण (Decentralization) और बड़े बदलावों की आवश्यकता है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'सबसे बड़ी दिक्कत आपको (राहुल गांधी को) मनाने की है.'

बीजेपी के कैडर की तारीफ, कांग्रेस को आईना दिखाया

वैसे तो यह पोस्ट 19 दिसंबर की है, मगर लोगों का ध्यान इस पोस्ट पर आज गया, क्योंकि 27 दिसंबर को दिग्विजय ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ RSS-BJP संगठन की तारीफ करते हुए एक और पोस्ट कर दिया. इसमें उन्होंने लिखा- 'जमीनी स्तर पर नेताओं के पैरों में बैठने वाला कार्यकर्ता भी भाजपा में आगे बढ़कर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बन सकता है.' यह बयान कांग्रेस की उस संस्कृति पर सीधा प्रहार माना जा रहा है जहां गुटबाजी और आलाकमान की करीबी को योग्यता से ऊपर रखा जाता है.

दिग्विजय सिंह ने की बीजेपी की तारीफ.

दिग्विजय सिंह ने की बीजेपी की तारीफ.
Photo Credit: X@digvijaya_28

संगठन की खामियां पर अब नेशनल डिबेट

बस फिर क्या था. दिग्विजय सिंह की ये पोस्ट सोशल मीडिया पर आग की तरफ फैल गई, जिसने पार्टी के भीतर ही सवालों की बाढ़ ला दी. राजनीतिक गलियारों में तुरंत चर्चाएं तेज हो गईं. क्या दिग्विजय ने जो कहा, वह सिर्फ असहमति है या कांग्रेस के भीतर गहरे बैठे असंतोष की सार्वजनिक अभिव्यक्ति? इन पोस्टों को लेकर कई नेताओं ने कहा कि दिग्विजय ने कोई नई बात नहीं कही, लेकिन फर्क यह है कि पहली बार उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से कहा, न कि बंद कमरों में. इससे यह संकेत साफ है कि वह चाहते हैं कि पार्टी अब इस पर खुलकर चर्चा करे.

क्या दिग्विजय अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित हैं?

कई हलकों में यह भी माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह को अपने राजनीतिक भविष्य की परवाह नहीं है, क्योंकि वह मुख्यमंत्री रह चुके हैं और दो बार से राज्यसभा में भी हैं. पर उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें चिंता अपने बेटे जयवर्धन सिंह के भविष्य की है, जो विधायक भी हैं और अभी जिलाध्यक्ष भी बनाए गए हैं. दिग्विजय का तर्क है कि प्रदेश अध्यक्ष तो बना दिए जाते हैं, मगर वे राज्य में समितियां नहीं बनाते. यानी सत्ता और अधिकार का विकेंद्रीकरण नहीं होता.

राज्यसभा कार्यकाल समाप्ती की ओर, क्या ये दबाव की राजनीति?

मध्यप्रदेश कांग्रेस में मौजूदा अध्यक्ष जीतू पटवारी और विधायक दल के नेता उमंग सिंघार दोनों ही दिग्विजय विरोधी खेमे के नेता माने जाते हैं. इसके अलावा, पिछला विधानसभा चुनाव कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जिम्मेदारी में था, जहां हार के बाद कई नेताओं ने ठीकरा इन्हीं के सिर फोड़ा. कई लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने का दोष भी इन्हीं दोनों को देते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिग्विजय सिंह का दूसरा राज्यसभा कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है, और यह भी एक कारण हो सकता है कि उन्होंने संगठनात्मक सुधारों को लेकर इतनी खुली बात की.

बदलाव की शुरुआत कहां से हो? खरगे-राहुल देंगे जवाब!

अब असल कारण चाहे जो भी हो, मगर दिग्विजय सिंह के कांग्रेस में बदलाव की बात कहकर उन सवालों को हवा दे दी है, जो लंबे समय से भीतर चल कर रहे थे. वे यह भी संकेत दे रहे हैं कि गांधी परिवार के नेतृत्व पर उन्हें कोई सवाल नहीं है. लेकिन उनके आसपास बैठे लोग लगातार सवालों के घेरे में आते हैं. संगठन महासचिव KC वेणुगोपाल की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. प्रियंका गांधी को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देने की मांग बढ़ रही है. अब कांग्रेस में यह चर्चा तेज है कि अगर चुनाव जीतने हैं, तो पहले खुद को बदलना होगा. और इस बदलने की शुरुआत कहां से हो—इसका जवाब अब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को देना होगा.

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