सोशल मीडिया और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लागू किए जा रहे सरकार के नए डिजिटल कानूनों को लेकर पर तेज बहस चल रही है. फेसबुक, ट्विटर जैसी बड़ी कंपनियां इन कानूनों के दायरे में सरकार के निशाने पर हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसको लेकर लगातार हमलावर है. बुधवार को सोशल मीडिया को लेकर नए नियमों पर कांग्रेस की ब्रीफिंग हुई, जिसमें पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सोशल मीडिया को लेकर सरकार का अप्रोच नार्थ कोरिया की तरह है.
उन्होंने कहा कि 'IT एक्ट, 2021 के तहत नए नियम सरकार की बेरहमी और बेशर्मी को दर्शाते हैं. अभिव्यक्ति की आज़ादी और निजता के प्रति सरकार के निष्टुर और निर्लज्ज रवैये को दिखाते हैं. ये तानाशाही और सत्ता लोलुपता को दर्शाते हैं.
'तमाम संस्थाओं के बाद अब सोशल मीडिया का नंबर'
उन्होंने कहा कि 'ये कानून 25 अप्रैल को लागू होने के बाद के 3 महीनों में अनेकों बार मांग की गई कि इसे बदला जाए लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगा. सरकार हर संस्थान को डरा-धमका कर दबोचना चाहती है और ये प्रक्रिया लंबे समय से जारी है.' उन्होंने आरोप लगाया कि 'सीबीआई, चुनाव आयोग आदि समेत तमाम संस्थनों और गोदी मीडिया पर दबाव बनाने के बाद अब उनका ध्यान सोशल मीडिया पर गया है.'
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कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि 'इसके नियम- 4 के अंतर्गत किसी मैसेज के फर्स्ट़ ओरिजिनेटर की ढ़ूंढने का प्रावधान है. हवाला दिया गया देश की एकता अखंडता सुरक्षा आदि का. इन शब्दों में गड़बड़ी नहीं है, गड़बड़ी ये है कि इस शब्दों को नया संदर्भ दे दिया गया है पुलिस अख़्तियार देकर. एंड टू एंड एन्क्रिप्शन निजता के लिहाज से अहम है, ऐसे में फर्स्ट ओरिजिनेटर का पता लगाने की मंशा समझी जा सकती है.'
उन्होंने सवाल उठाया कि 'आपत्तिजनक' क्या होगा? जिस पर सरकार को आपत्ति होगा और ऐसे कथित आपत्तिजनक कंटेट के फर्स्ट ओरिजीनेटर का पता लगाने की जिम्मेदारी उस सोशल मीडिया की होगी जिसे आदेश दिया जाएगा और नहीं पता करने पर वो खुद दोषी करार दिया जाएगा, जबकि सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. एंड टू एंड एन्क्रिप्शन निजता की तकनीकी निशानी है. इसको भंग करने पर निजता भंग होगी.'
'इस ऑक्सीजन को कम मत कीजिए'
सिंघवी ने कहा कि सरकार हर असहमति को देशद्रोही और राष्ट्रविरोधी करार दे सकती है. कोरोना संकट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 'अगर किसी ने ऑक्सीजन के विषय में किसी ने सवाल उठा दिए तो जेल में डालने की बात होती है. कोरोना की बात कहते हैं तो गिरफ्तारी होती है. स्वतंत्र सोचना और बोलना जीवन का ऑक्सीजन है, दूसरे क्षेत्र में ऑक्सीजन आपने वैसे ही कम कर दिए हैं, इस ऑक्सीजन को कम मत कीजिए ये मेरा अनुरोध है. इस तरह का कानून बना कर देश को नार्थ कोरिया नहीं बनाना चाहिए.'
उन्होंने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की ओर से ट्विटर के ऑफिस पर जाने को लेकर कहा कि ट्विटर को एक नोटिस सर्व करने के लिए 12 पुलिसवाले को क्यों भेजा? क्योंकि ये सरकार डराना चाहती है. नोटिस सर्व करने के लिए एक आदमी को साइकिल-मोटरसाइकिल से भेजा जा सकता था लेकिन इतने पुलिसवाले को भेजा क्योंकि सरकार डराना चाहती है.'
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