नई दिल्ली:
कांग्रेस ने आज भाजपा के खिलाफ एक और मोर्चा खोलते हुए उसके शासनकाल के दौरान हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को आवंटित जमीन का मुद्दा उठाया है। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग ठाकुर पर राज्य को 100 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति पहुंचाने का आरोप लगाया है।
पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘जमीन का स्थानांतरण संवैधानिक अनुपयुक्तता, हितों का टकराव, पद का दुरुपयोग, सार्वजनिक संपत्ति को हड़पना और राजस्व को चूना लगाना है।’ललित मोदी और व्यापम विवाद में सरकार पर कांग्रेस का हमला जहां कमजोर नहीं पड़ा है वहीं पार्टी ने आज कहा कि धर्मशाला में भूमि का आवंटन ‘भाजपा के असली चेहरे’को बेनकाब कर रहा है।
रमेश ने पूछा,‘मुझे आश्चर्य हो रहा है, कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का वादा इस मामले में लागू होगा।’उन्होंने लोकसभा सांसद और भाजपा युवा मोर्चा शाखा के अध्यक्ष ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
बीसीसीआई सचिव ठाकुर जब एचपीसीए के अध्यक्ष थे, तब स्टेडियम की भूमि लीज पर दी गई थी। यह पूछने पर कि यह मुद्दा अब क्यों उठाया जा रहा है? उन्होंने कहा, ‘जब हमें पूरे कागजात मिल गए तो हमने एक फाइल तैयार की और अब इसे लोगों के समक्ष रख रहे हैं।’ कांग्रेस की तरफ से यह नया हमला तब आया है जब संसद में पहले से ही गतिरोध बना हुआ है।
धूमल नीत तत्कालीन सरकार के खिलाफ आरोप को लेकर दस्तावेज पेश करते हुए रमेश ने कहा कि स्टेडियम की भूमि को महज एक रुपये प्रति महीने की लीज पर दिया गया, जबकि राज्य सरकार का नियम है कि प्रति वर्ष 94 लाख रुपये पर लीज दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘इससे न केवल राजस्व को 100 करोड़ का चूना लगा बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा 27 मई 2002 को कैबिनेट में दी गई मंजूरी से राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की नोटिंग को कमतर किया गया।’उन्होंने दावा किया कि मंजूरी दिए जाने के बाद ही आवंटन का आग्रह किया गया।
संसद के सत्र में कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित विपक्ष ने जहां ‘इस्तीफा नहीं तो चर्चा नहीं’का रुख अपना रखा है, वहीं भाजपा नेताओं और मंत्रियों ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई इस्तीफा नहीं देगा और सरकार विपक्ष की बात नहीं मानने जा रही है। रमेश ने कहा कि धूमल और भाजपा सरकार ने धर्मशाला में 16 एकड़ जमीन स्थानांतरित कर दी, जबकि एचपीसीए की तरफ से वहां कोई आवेदक भी नहीं था।
उन्होंने आरोप लगाया कि इतना ही नहीं शर्तों का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए संपत्ति का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया। उन्होंने अवेदा कंपनी का जिक्र किया जो व्यावसायिक कार्यों से प्रति वर्ष एक करोड़ रुपये का लाभ कमा रही है। एचपीसीए ने जमीन पर बने एक होटल और स्पा को कैबिनेट के निर्णय का उल्लंघन करते हुए कंपनी को सौंप दिया।
रमेश ने कहा कि इसमें जवाबदेही से बचने के लिए ठाकुर ने एचपीसीए को कानपुर में कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत सोसायटी से कंपनी बना दिया और इसके लिए पूर्वानुमति नहीं ली। उन्होंने आरोप लगाए कि संस्था का नाम भी इससे मिलता जुलता हिमालयन प्लेयर्स क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) रख दिया और फिर इसे बदलकर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) कर दिया, लेकिन यह धारा 25 की कंपनी ही रही।
यह पूछने पर कि राज्य की कांग्रेस सरकार धूमल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है, उन्होंने कहा, ‘सरकार जो जरूरत होगी उसे करेगी।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक स्टेडियम लीज पर है, हम निर्णय को नहीं पलट सकते। लेकिन दूसरे विकल्प हैं और निश्चित तौर पर उनका इस्तेमाल होगा।’उन्होंने कहा, ‘व्यावसायिक इस्तेमाल की समीक्षा होगी और हिमाचल प्रदेश सरकार व्यावसायिक उपयोग की समीक्षा कर सकती है।’
पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘जमीन का स्थानांतरण संवैधानिक अनुपयुक्तता, हितों का टकराव, पद का दुरुपयोग, सार्वजनिक संपत्ति को हड़पना और राजस्व को चूना लगाना है।’ललित मोदी और व्यापम विवाद में सरकार पर कांग्रेस का हमला जहां कमजोर नहीं पड़ा है वहीं पार्टी ने आज कहा कि धर्मशाला में भूमि का आवंटन ‘भाजपा के असली चेहरे’को बेनकाब कर रहा है।
रमेश ने पूछा,‘मुझे आश्चर्य हो रहा है, कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का वादा इस मामले में लागू होगा।’उन्होंने लोकसभा सांसद और भाजपा युवा मोर्चा शाखा के अध्यक्ष ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
बीसीसीआई सचिव ठाकुर जब एचपीसीए के अध्यक्ष थे, तब स्टेडियम की भूमि लीज पर दी गई थी। यह पूछने पर कि यह मुद्दा अब क्यों उठाया जा रहा है? उन्होंने कहा, ‘जब हमें पूरे कागजात मिल गए तो हमने एक फाइल तैयार की और अब इसे लोगों के समक्ष रख रहे हैं।’ कांग्रेस की तरफ से यह नया हमला तब आया है जब संसद में पहले से ही गतिरोध बना हुआ है।
धूमल नीत तत्कालीन सरकार के खिलाफ आरोप को लेकर दस्तावेज पेश करते हुए रमेश ने कहा कि स्टेडियम की भूमि को महज एक रुपये प्रति महीने की लीज पर दिया गया, जबकि राज्य सरकार का नियम है कि प्रति वर्ष 94 लाख रुपये पर लीज दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘इससे न केवल राजस्व को 100 करोड़ का चूना लगा बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा 27 मई 2002 को कैबिनेट में दी गई मंजूरी से राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की नोटिंग को कमतर किया गया।’उन्होंने दावा किया कि मंजूरी दिए जाने के बाद ही आवंटन का आग्रह किया गया।
संसद के सत्र में कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित विपक्ष ने जहां ‘इस्तीफा नहीं तो चर्चा नहीं’का रुख अपना रखा है, वहीं भाजपा नेताओं और मंत्रियों ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई इस्तीफा नहीं देगा और सरकार विपक्ष की बात नहीं मानने जा रही है। रमेश ने कहा कि धूमल और भाजपा सरकार ने धर्मशाला में 16 एकड़ जमीन स्थानांतरित कर दी, जबकि एचपीसीए की तरफ से वहां कोई आवेदक भी नहीं था।
उन्होंने आरोप लगाया कि इतना ही नहीं शर्तों का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए संपत्ति का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया। उन्होंने अवेदा कंपनी का जिक्र किया जो व्यावसायिक कार्यों से प्रति वर्ष एक करोड़ रुपये का लाभ कमा रही है। एचपीसीए ने जमीन पर बने एक होटल और स्पा को कैबिनेट के निर्णय का उल्लंघन करते हुए कंपनी को सौंप दिया।
रमेश ने कहा कि इसमें जवाबदेही से बचने के लिए ठाकुर ने एचपीसीए को कानपुर में कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत सोसायटी से कंपनी बना दिया और इसके लिए पूर्वानुमति नहीं ली। उन्होंने आरोप लगाए कि संस्था का नाम भी इससे मिलता जुलता हिमालयन प्लेयर्स क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) रख दिया और फिर इसे बदलकर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) कर दिया, लेकिन यह धारा 25 की कंपनी ही रही।
यह पूछने पर कि राज्य की कांग्रेस सरकार धूमल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है, उन्होंने कहा, ‘सरकार जो जरूरत होगी उसे करेगी।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक स्टेडियम लीज पर है, हम निर्णय को नहीं पलट सकते। लेकिन दूसरे विकल्प हैं और निश्चित तौर पर उनका इस्तेमाल होगा।’उन्होंने कहा, ‘व्यावसायिक इस्तेमाल की समीक्षा होगी और हिमाचल प्रदेश सरकार व्यावसायिक उपयोग की समीक्षा कर सकती है।’
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