कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी सरकार की ओर डीएनए बिल पास कराने की तैयारी पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. डीएनए प्रोफाइलिंग की कवायद को पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी जनता की जासूसी की कवायद करार दिया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस डीएनए प्रोफाइलिंग का विरोध नहीं करती, मगर मोदी सरकार की ओर से गलत ढंग से बनाए गए डीएनए बिल का विरोध करती है, जिससे डाटा प्रोटेक्शन और निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है. सिंघवी ने बीजेपी सरकार पर नागरिकों की निगरानी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह जनता पर नियंत्रण करना चाहती है.
मोदी सरकार के बिग ब्रदर सिंड्रोम से ग्रसित होने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार जनता के ड्राइंग रूम में तांक-झांक करना चाहती है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष की एकजुटता से डरी सरकार ने राज्यसभा से बिल को वापस लेकर आठ अगस्त की रात लोकसभा में पेश कर दिया.
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कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि डीएनए बिल डेटा प्रोटेक्शन को लेकर बनी श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों का भी उल्लंघन करती है. बिल में कई खामियां हैं. मसलन डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड में सदस्यों के चयन, डाटा कलेक्टर्स के स्तर से डाटा सिक्योरिटी, थर्ड पार्टी को डाटा शेयरिंग से जुड़ी जानकारियों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है.
सिंघवी ने कहा कि डीएनए सैंपल्स से न सिर्फ आदमी के लुक, आंखों और त्वचा के रंग का पता चलेगा, बल्कि एलर्जी, बीमारियों आदि का भी पता चल जाता है, इससे किसी के भी बारे में निजी जानकारियां जुटाईं जा सकतीं हैं.
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर बिना श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट पर विचार किए हुए डीएनए बिल को संसद में क्यों पेश किया गया. क्या मोदी सरकार पूरी तरह आश्वस्त है कि यह बिल श्रीकृष्ण समिति की सिफारिशों का उल्लंघन नहीं करती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी तरह की नागरिकों की निगरानी का विरोध करती है. कांग्रेस मोदी सरकार से सबसे पहले डाटा प्रोटेक्शन कानून बनाने की मांग करती है.
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मोदी सरकार के बिग ब्रदर सिंड्रोम से ग्रसित होने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार जनता के ड्राइंग रूम में तांक-झांक करना चाहती है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष की एकजुटता से डरी सरकार ने राज्यसभा से बिल को वापस लेकर आठ अगस्त की रात लोकसभा में पेश कर दिया.
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कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि डीएनए बिल डेटा प्रोटेक्शन को लेकर बनी श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों का भी उल्लंघन करती है. बिल में कई खामियां हैं. मसलन डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड में सदस्यों के चयन, डाटा कलेक्टर्स के स्तर से डाटा सिक्योरिटी, थर्ड पार्टी को डाटा शेयरिंग से जुड़ी जानकारियों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है.
सिंघवी ने कहा कि डीएनए सैंपल्स से न सिर्फ आदमी के लुक, आंखों और त्वचा के रंग का पता चलेगा, बल्कि एलर्जी, बीमारियों आदि का भी पता चल जाता है, इससे किसी के भी बारे में निजी जानकारियां जुटाईं जा सकतीं हैं.
INC COMMUNIQUE
— INC Sandesh (@INCSandesh) August 26, 2018
Press Release by @DrAMSinghvi on the proposed DNA profiling bill of the Modi Govt. pic.twitter.com/dPz7mKsZDW
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर बिना श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट पर विचार किए हुए डीएनए बिल को संसद में क्यों पेश किया गया. क्या मोदी सरकार पूरी तरह आश्वस्त है कि यह बिल श्रीकृष्ण समिति की सिफारिशों का उल्लंघन नहीं करती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी तरह की नागरिकों की निगरानी का विरोध करती है. कांग्रेस मोदी सरकार से सबसे पहले डाटा प्रोटेक्शन कानून बनाने की मांग करती है.
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