
अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक शुरू हो गई है. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मौजूद हैं. कांग्रेस इस अधिवेशन में संगठन सृजन और जवाबदेही पर जोर देने के साथ ही सामने खड़ी चुनौतियों से निपटने और अपनी चुनावी किस्मत संवारने की रूपरेखा तय करेगी. गुजरात में पार्टी का यह अधिवेशन 64 साल के बाद हो रहा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस अधिवेशन के जरिए कांग्रेस जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) की शक्तियां बढ़ाने, संगठन सृजन के कार्य को तेज करने, चुनावी तैयारियों और पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्णय किया जाएगा. पार्टी के शीर्ष नेता, कार्य समिति के सदस्य, वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य अधिवेशन में शामिल होंगे.
आज से अधिवेशन की शुरुआत
- अहमदाबाद में आज से कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरुआत हो गई है.
- दो दिनों तक चलेगी बैठक.
- आज विस्तारित कार्यसमिति की बैठक हो रही है.
- जबकि कल राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक होगी.
- कार्यसमिति की बैठक में राष्ट्रीय अधिवेशन में पेश होने वाले प्रस्तावों पर चर्चा होगी.
- विस्तारित कार्यसमिति में 169 सदस्य हैं.
इस बैठक में अधिवेशन के एजेंडे पर मुहर लगाई जाएगी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि पार्टी के 140 साल के इतिहास में यह गुजरात में कांग्रेस का छठा अधिवेशन है. उन्होंने बताया, ' गुजरात में कांग्रेस पार्टी की पहली ऐसी बैठक अहमदाबाद में 23-26 दिसंबर 1902 के बीच सुरेंद्र नाथ बनर्जी की अध्यक्षता में हुई थी. कांग्रेस की दूसरी बैठक गुजरात के सूरत में 26-27 दिसंबर 1907 को रास बिहारी घोष की अध्यक्षता में हुई थी.'
उनके अनुसार, गुजरात में पार्टी का तीसरा अधिवेशन 27-28 दिसंबर, 1921 को हकीम अजमल खान की अध्यक्षता में हुआ था. रमेश ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी का तीसरा अधिवेशन गुजरात के हरिपुरा में 19-21 फरवरी 1938 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में हुआ था. कांग्रेस की पांचवीं ऐसी बैठक गुजरात के भावनगर में 6-7 जनवरी 1961 को नीलम संजीव रेड्डी की अध्यक्षता में हुई थी.'
विधानसभा चुनाव पर नजर
पार्टी का यह अधिवेशन ऐसे समय होने जा रहा है जब 2024 के लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में हार से उसकी उम्मीदों का बड़ा झटका लगा है. इस साल पार्टी की निगाहें बिहार विधानसभा चुनाव पर हैं जहां वह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है.
कांग्रेस की चुनावी किस्मत के लिहाज से अगला साल महत्वपूर्ण रहेगा जब वह केरल और असम के विधानसभा चुनाव में सत्ता के दावेदार के रूप चुनावी समर में उतरेगी. वह अगले वर्ष ही तमिलनाडु में द्रमुक के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी, हालांकि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में उसने फिलहाल गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ नहीं की है.
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