थल सेना के सह प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरदचंद ने रक्षा बजट को सेना के आधुनिकीकरण के लिए अपर्याप्त बताया है.
नई दिल्ली:
थल सेना के सह प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरदचंद ने रक्षा बजट को लेकर सरकार पर सीधा निशाना साधा है. रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति से सह सेना प्रमुख ने कहा है कि 'हाल के रक्षा बजट ने सैन्य आधुनिकीकरण की उनकी उम्मीदों पर कुठाराघात किया है. रक्षा बजट एक झटके की तरह है. हमने मेक इन इंडिया के लिए 25 परियोजनाओं को सूचीबद्ध किया था, लेकिन उनको अमलीजामा पहनाने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है. नतीजतन कुछ परियोजनाएं बंद हो सकती हैं.'
लेफ्टिनेंट जनरल शरदचंद ने मेजर जनरल बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली संसद की स्थाई समिति से कहा है कि सेना का 68 प्रतिशत साज़ो-सामान विंटेज श्रेणी का, यानि कि जरूरत के लिहाज से काफी पुराना पड़ चुका है. उन्होंने संसदीय समिति से कहा है कि 123 जारी परियोजनाओं और आपातकालीन खरीद के लिए 29,033 करोड़ रुपये दिए जाने हैं, ऐसे में आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये का आवंटन नाकाफी है. वाइस चीफ ने समिति से कहा है कि चीन से सटी सीमा पर सड़कों और ढांचागत सुविधाओं के लिए सेना की मांग से 902 करोड़ रुपये कम मिले हैं.
VIDEO : रफाल सौदे पर संसद में बहस
वैसे उड़ी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले और चीन से लगी सीमा पर डोकलाम विवाद के बाद सरकार की ओर से कहा गया कि सेना को संसाधनों की कमी नहीं पड़ने दी जाएगी. सह सेना प्रमुख के इस बयान से ये नहीं लगता है कि सरकार अपने वायदों के हिसाब से काम कर रही है. अब देखना ये होगा कि इतने कम बजट में सेना कैसे दो मोर्चों पर चुनौती का सामना करती है.
लेफ्टिनेंट जनरल शरदचंद ने मेजर जनरल बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली संसद की स्थाई समिति से कहा है कि सेना का 68 प्रतिशत साज़ो-सामान विंटेज श्रेणी का, यानि कि जरूरत के लिहाज से काफी पुराना पड़ चुका है. उन्होंने संसदीय समिति से कहा है कि 123 जारी परियोजनाओं और आपातकालीन खरीद के लिए 29,033 करोड़ रुपये दिए जाने हैं, ऐसे में आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये का आवंटन नाकाफी है. वाइस चीफ ने समिति से कहा है कि चीन से सटी सीमा पर सड़कों और ढांचागत सुविधाओं के लिए सेना की मांग से 902 करोड़ रुपये कम मिले हैं.
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वैसे उड़ी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले और चीन से लगी सीमा पर डोकलाम विवाद के बाद सरकार की ओर से कहा गया कि सेना को संसाधनों की कमी नहीं पड़ने दी जाएगी. सह सेना प्रमुख के इस बयान से ये नहीं लगता है कि सरकार अपने वायदों के हिसाब से काम कर रही है. अब देखना ये होगा कि इतने कम बजट में सेना कैसे दो मोर्चों पर चुनौती का सामना करती है.
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