ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस छोड़ने के बाद कांग्रेस कई सवालों से जूझ रही है. मध्यप्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी कलह से निपटने में नाकामी ने पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही प्रताप सिंह बाजवा ने एनडीटीवी से कहा कि "मध्यप्रदेश कांग्रेस में जो संकट खड़ा हुआ है वह कांग्रेस लीडरशिप के लिए एक खतरे की घंटी है. सिंधिया के जाने से कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ है. वह एक बड़े युवा नेता हैं...किसी भी स्टेट में जो कांग्रेस नेता मुख्यमंत्री बनता है वह किसी और के लिए कोई जगह ही नहीं छोड़ता है."
पंजाब कांग्रेस के प्रमुख रहे बाजवा ने खुलकर कांग्रेस में कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए और पंजाब के मुख्यमंत्री पर निशाना भी साध दिया. प्रताप सिंह बाजवा ने कहा - "कुछ कांग्रेस के मुख्यमंत्री अगर 24*7 365 दिन अगर काम नहीं कर सकते तो उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी किसी और को दे देनी चाहिए."
दरअसल सिंधिया के बाहर जाने के फैसले ने कांग्रेस को सकते में डाल दिया है. राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा- सिंधिया कभी भी उनके घर आ-जा सकते थे. पार्टी अब बीजेपी पर गैर बीजेपी सरकारों को गिराने का व्यवसाय करने का आरोप लगा रही है.
आनंद शर्मा ने एनडीटीवी से कहा- "कांग्रेस पार्टी ने लंबे समय तक ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक परवरिश की और उन्हें सम्मान दिया. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि हमारे पास बहुमत है और हम अपने मुख्यमंत्री के दावे पर विश्वास करते हैं. बीजेपी ने एक प्रयोगशाला बना ली है विधायकों को कैद में रखने की. कर्नाटक में भी यही किया गया- पहले विधायकों को अगवा किया गया और फिर उनसे इस्तीफा कराया गया. यही तरीका अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और गोवा में भी इख्तियार किया गया है."
ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्यप्रदेश कांग्रेस में जारी संकट कांग्रेस संगठन के सामने खड़ी बड़ी चुनौतियों की तरफ इशारा करता है. साफ है, अगर कांग्रेस दूसरे राज्यों में भी इस तरह के संकट को रोकना चाहती है तो उसे इन चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनानी होगी.
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