मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले थांजला में मुख्यमंत्री कन्या विवाह का आयोजन किया गया, जिसमें 296 जोड़े सामूहिक रूप से परिणय सूत्र में बंधे, लेकिन शिवराज सिंह चौहान सरकार का यह कार्यक्रम इस बार विवाद में आ गया. दरअसल, मेकअप बॉक्स में गर्भनिरोधक गोलियों के साथ कंडोम के पैकेट वितरित किए गए. ऐसा पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में नवविवाहिता को इस तरह की सामग्री वितरित की गई.
दुल्हन के सजने संवरने के बॉक्स में कंडोम के पैकेट और गोलियां किसके कहने पर रखे गए, जब जिम्मेदार अधिकारी से चर्चा की गई तो वह सफाई देते नजर आए कि ये कारनामा स्वास्थ्य विभाग का है, जबकि इसको लेकर कोई आदेश नहीं दिया गया था. ये मेकअप किट उन सभी दुल्हनों को दी गई जिन्होंने इस योजना के तहत विवाह किया था.
वहीं, इस मामले में प्रभारी सीईओ भूरसिंह रावत ने अपनी सफाई में बोला है कि यह सारा कारनामा स्वास्थ्य विभाग का है. दुल्हनों को मेकअप बॉक्स में ऐसा सामान दिये जाने को लेकर हंगामा मचा हुआ है. उन्होंने कहा, "हम कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों के वितरण के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. यह संभव है कि स्वास्थ्य विभाग ने अपने परिवार नियोजन जागरूकता कार्यक्रम के तहत ये चीजें डाल दी हों. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत, हम 49,000 रुपये सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में स्थानांतरित करते हैं. हम विवाह के लिए भोजन, पानी और एक टेंट प्रदान भी करते हैं, जिसकी राशि 6,000 रुपये है. मुझे नहीं पता था कि वितरित किए गए पैकेटों में क्या था."
मध्य प्रदेश सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं की शादियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए अप्रैल 2006 में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना शुरू की थी. योजना के तहत सरकार दुल्हन के परिवार को 55,000 रुपये प्रदान करती है.
पिछले महीने, डिंडोरी इलाके में एक सामूहिक विवाह समारोह में कुछ दुल्हनों की प्रेगनेंसी जांच करने पर विवाद खड़ा हो गया था. एक महिला जिसका प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया है, उसने कहा कि वह शादी से पहले अपने मंगेतर के साथ रह रही थी. तब भी लड़कियों को परेशान करने का आरोप अधिकारियों पर लगा था.
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