केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने वैश्विक नेताओं को दुनिया को स्वस्थ स्थान बनाने के लिए भारत के साथ साझेदारी करने के लिए आमंत्रित किया है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि सरकार नई 'Heal In India' पहल के माध्यम से चिकित्सा पर्यटन को संस्थागत (institutionalising) कर रही है. स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ( WEF) की वार्षिक बैठक 2023 के दौरान मंत्री ने कहा कि यह दुनिया को बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक सक्षम ढांचा तैयार करेगा. मांडविया ने सभी हितधारकों को भारत को अवसरों की भूमि के तौर पर देखने और भारत के साथ साझेदारी करके इसका लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया. WEF की ओर से आयोजित हेल्थ एंड हेल्थकेयर कम्युनिटी डिनर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "यह प्रयास भारत और दुनिया को एक स्वस्थ जगह बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा."
मांडविया ने कहा, "हम स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, पहुंच और सामर्थ्य पर ध्यान देने के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार के लिए हमने कई योजनाएं शुरू की हैं." 'सेवा' के तौर पर स्वास्थ्य सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, "चाहे वह दुनिया की सबसे बड़ी, गवर्नमेंट फंडेड स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारंभ हो, करीब 50 करोड़ लोगों को कवर करने वाली पीएम जन आरोग्य योजना या फिर 150,000 हेल्थ और वेलनेस सेंटर की स्थापना, हमने 'अंत्योदय' के विजन को रखा है.
इससे पहले, सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि डिजिटलीकरण से भारत में स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा या मेडिकल की पढ़ाई के क्षेत्रों को बड़ा प्रोत्साहन मिल रहा है. साथ ही इसने भ्रष्टाचार के खिलाफ सुरक्षा कवच भी दिया है. डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक-2023 के मौके पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और परामर्शक कंपनी ईवाई द्वारा आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा था कि भारतीय नागरिकों के मेडिकल रिकॉर्ड को डिजिटल करने से उनके ब्योरे के चोरी होने का कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि मरीजों के रिकॉर्ड पर उनकी सहमति से एकल इस्तेमाल के ओटीपी के जरिये ही पहुंचा जा सकता है. मरीज के रिकॉर्ड को न तो स्थानीय स्तर पर भंडारित किया जा सकता है, न ही अस्पताल, चिकित्सक या प्रयोगशालाओं की उस तक पहुंच हो सकती है.मांडविया ने यह भी कहा कि सभी कॉलेजों और संस्थानों को राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद से जोड़ने के साथ ही प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा (एआई) से चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में बड़ी मदद मिल रही है.
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