
टाटा स्टील के स्पेशल इकोनॉमिक जोन का गोपालपुर औद्योगिक पार्क (जीआईपी) वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के औद्योगिक क्लस्टरों में बदलाव की पहल में शामिल हो गया है. यह फोरम औद्योगिक क्लस्टरों के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के हितधारकों को एक साथ लाता है. इसका मकसद आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए और रोजगार पैदा करते हुए कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करना है.जीआईपी की करीब 25 फीसदी जमीन ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के लिए निर्धारित किया गया है.
टाटा स्टील ने अपने बयान में क्या कहा है
टाटा स्टील स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड ने एक बयान में कहा है कि इस वैश्विक पहल को एक्सेंचर और इलेक्ट्रिक पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट (ईपीआरआई) के सहयोग से शुरू किया गया है. यह पहल, स्थिरता, ऊर्जा दक्षता और ग्रीन इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर बड़े पैमाने पर डीकार्बोनाइजेशन को गति देने का प्रयास करती है.
टाटा की यह परियोजना ओडिशी के गंजम जिले में स्थित है. यह परियोजना ग्रीन हाइड्रोजन या ग्रीम अमोनिया और ग्रीन एनर्जी उपकरणों के उत्पादन का तेजी से बढ़ता हब है.
इसका फोकस स्थिरता पर है. इसके साथ ही ऑजीआईपी अपने स्वयं के विकास लक्ष्यों और भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को एक साथ लाएगा. इसका उद्देश्य देश को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है.
टाटा स्टील स्पेशल इकोनॉमिक जोन की उम्मीद
टाटा स्टील स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, मणिकांत नाइक ने कहा, "गोपालपुर औद्योगिक पार्क को वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की इस परिवर्तनकारी पहल का हिस्सा बनने पर गर्व है." उन्होंने कहा, "ओडिशा का तेजी से हो रहा औद्योगिकीकरण,जिसमें जीआईपी जैसे बड़े क्लस्टर शामिल हैं. यह डीकार्बोनाइज्ड भविष्य बनाने की दिशा में हमारे बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता को समर्पित करने के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है."
उन्होंने कहा कि जीआईपी का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं और नई साझेदारियों का लाभ उठाकर भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान देना है. उन्होंने कहा,"हमें उम्मीद है कि जीआईपी में इसी तरह की कुछ और परियोजनाएं जल्द ही आएंगी."
कितना होगा ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया का उत्पादन
नाइक ने बताया कि जीआईपी की कुल जमीन का करीब 25 फीसदी हिस्सा ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के लिए निर्धारित किया गया है. उन्होंने कहा,"जीआईपी ने कई ग्रीन हाइड्रोजन खिलाड़ियों के साथ भूमि पट्टे और ब्लाकिंग एग्रीमेंट पर भी दस्तखत किए हैं, जिससे हर साल दो मिलियन टन से अधिक ग्रीन अमोनिया पैदा होगा.इस पर कई चरणों में 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा. इसके साथ ही जीआईपी राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत 2030 तक भारत के ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया उत्पादन लक्ष्य का करीब 10 फीसदी योगदान देने में सक्षम होगा."
उन्होंने कहा कि जीआईपी के इंफ्रास्ट्रक्चर के मास्टर प्लान में कई प्रमुख घटक हैं. इनमें जीआईपी को गोपालपुर बंदरगाह से जोड़ने वाला 2.5 किलोमीटर लंबा, 60 मीटर चौड़ा विशेष उपयोगिता गलियारा शामिल है. इसका मकसद दुनिया के दूसरे देशों में भेजने के लिए ग्रीन अमोनिया का सुरक्षित और कुशल परिवहन सुनिश्चित किया जा सके.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं