एसीबी प्रमुख मुकेश मीणा
नई दिल्ली:
दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार के दौरान कथित रूप से हुए सीएनजी फिटनेस घोटाला के मामले में वर्तमान में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा गठित जस्टिस एसएन अग्रवाल आयोग ने एंटी करप्शन ब्यूरो के प्रमुख मुकेश कुमार मीणा की सैलरी का 30 प्रतिशत हिस्सा काटने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं आयोग ने मीणा के खिलाफ गैर-ज़मानती वारंट भी जारी कर दिया है। ये कार्रवाई मीणा के आयोग के सामने पेश न होने के चलते की गई है।
कौन कराएगा आदेश की तामील
वहीं, दिल्ली पुलिस ने तुरंत इस आदेश के जवाब में कह दिया है कि मीणा की सैलरी दिल्ली पुलिस देती है और दिल्ली पुलिस पुलिस को ही इस आदेश को तामील कराना होगा।
शुक्रवार को जस्टिस अग्रवाल आयोग ने एसीबी चीफ मुकेश मीणा के खिलाफ यह आदेश दिया क्योंकि आयोग ने 3 सितंबर को एक समन भेजकर एसीबी प्रमुख मीणा को हाजिर होने के लिए कहा था और वे आज हाजिर नहीं हुए।
बता दें कि उसी समय मुकेश मीणा ने कहा था कि गृहमंत्रालय का नोटिफिकेशन है कि आयोग जो जांच कर रहा है वह अवैध है। और उन्हें जो समन मिला है, उन्हें जवाब देने का मतलब ही नहीं है।
आयोग के इस आदेश पर दिल्ली पुलिस का बयान
दिल्ली पुलिस सूत्रों का कहना है कि जब ये आयोग ही अवैध है, तो आदेश की तामील की ही नहीं जा सकती। सूत्रों का कहना है कि अवैध आयोग के पास सैलरी काटने का अधिकार भी नहीं है। मीणा की सैलरी दिल्ली पुलिस देती है।
उल्लेखनीय है कि गैर-जमानती वारंट की तामील भी दिल्ली पुलिस ही कराती है।
जांच आयोग की वैधता पर असमंजस
गौरतलब है कि इस जांच आयोग की वैधता को लेकर दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल और गृहमंत्रालय में पहले ही मतभेद हैं। दिल्ली सरकार जहां इसे उचित कदम बता रही है वहीं उपराज्यपाल और गृहमंत्रालय इस अवैध घोषित कर चुके हैं।
सिसोदिया का जंग को जवाब
बता दें कि 26 अगस्त को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलजी नजीब जंग को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि दिल्ली सरकार गृह मंत्रालय के प्रति जवाबदेह नहीं है और गृह मंत्रालय को दिल्ली सरकार के आदेश को रद्द करने का अधिकार नहीं है, केवल कोर्ट को ऐसा अधिकार प्राप्त है। चिट्ठी में यह साफ किया गया था कि जांच आयोग अपना काम करता रहेगा।
जंग का दिल्ली सरकार को खत
इससे पहले 21 अगस्त को एलजी ने दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा था कि सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच के लिए दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए जांच आयोग को गृह मंत्रालय ने अवैध घोषित कर दिया है और आदेश को रद्द कर दिया है।
जांच आयोग का गठन
उल्लेखनीय है कि 11 अगस्त को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार एक अहम बैठक कर फैसला लिया था कि 2002 के सीएनजी फिटनेस कैंप घोटाले मामले पर एक जांच आयोग गठित कर दिया है और यह आयोग दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और दिल्ली उपराज्यपाल से जरूरत पड़ने पर पूछताछ कर सकता है। बताया जा रहा है कि 100 करोड़ के इस घोटाले के मामले में रिटायर्ड हाई कोर्ट जस्टिस एसएन अग्रवाल इस आयोग के अध्यक्ष होंगे।
शीला और नजीब पर जांच की आंच
इस मामले में एलजी नजीब जंग और पूर्व सीएम शीला दीक्षित जांच के घेरे में हैं। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित की सरकार के दौरान ये घोटाला हुआ, जिसमें शीला के करीबी अफसरों के नाम आने के चलते इस मामले को दबाने के आरोप शीला सरकार पर लगे जबकि एलजी नजीब जंग पर सीबीआई की रिपोर्ट में आरोप लगे कि उन्होंने इस मामले की जांच आगे बढ़ने नहीं दी।
कौन कराएगा आदेश की तामील
वहीं, दिल्ली पुलिस ने तुरंत इस आदेश के जवाब में कह दिया है कि मीणा की सैलरी दिल्ली पुलिस देती है और दिल्ली पुलिस पुलिस को ही इस आदेश को तामील कराना होगा।
शुक्रवार को जस्टिस अग्रवाल आयोग ने एसीबी चीफ मुकेश मीणा के खिलाफ यह आदेश दिया क्योंकि आयोग ने 3 सितंबर को एक समन भेजकर एसीबी प्रमुख मीणा को हाजिर होने के लिए कहा था और वे आज हाजिर नहीं हुए।
बता दें कि उसी समय मुकेश मीणा ने कहा था कि गृहमंत्रालय का नोटिफिकेशन है कि आयोग जो जांच कर रहा है वह अवैध है। और उन्हें जो समन मिला है, उन्हें जवाब देने का मतलब ही नहीं है।
आयोग के इस आदेश पर दिल्ली पुलिस का बयान
दिल्ली पुलिस सूत्रों का कहना है कि जब ये आयोग ही अवैध है, तो आदेश की तामील की ही नहीं जा सकती। सूत्रों का कहना है कि अवैध आयोग के पास सैलरी काटने का अधिकार भी नहीं है। मीणा की सैलरी दिल्ली पुलिस देती है।
उल्लेखनीय है कि गैर-जमानती वारंट की तामील भी दिल्ली पुलिस ही कराती है।
जांच आयोग की वैधता पर असमंजस
गौरतलब है कि इस जांच आयोग की वैधता को लेकर दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल और गृहमंत्रालय में पहले ही मतभेद हैं। दिल्ली सरकार जहां इसे उचित कदम बता रही है वहीं उपराज्यपाल और गृहमंत्रालय इस अवैध घोषित कर चुके हैं।
सिसोदिया का जंग को जवाब
बता दें कि 26 अगस्त को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलजी नजीब जंग को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि दिल्ली सरकार गृह मंत्रालय के प्रति जवाबदेह नहीं है और गृह मंत्रालय को दिल्ली सरकार के आदेश को रद्द करने का अधिकार नहीं है, केवल कोर्ट को ऐसा अधिकार प्राप्त है। चिट्ठी में यह साफ किया गया था कि जांच आयोग अपना काम करता रहेगा।
जंग का दिल्ली सरकार को खत
इससे पहले 21 अगस्त को एलजी ने दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा था कि सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच के लिए दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए जांच आयोग को गृह मंत्रालय ने अवैध घोषित कर दिया है और आदेश को रद्द कर दिया है।
जांच आयोग का गठन
उल्लेखनीय है कि 11 अगस्त को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार एक अहम बैठक कर फैसला लिया था कि 2002 के सीएनजी फिटनेस कैंप घोटाले मामले पर एक जांच आयोग गठित कर दिया है और यह आयोग दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और दिल्ली उपराज्यपाल से जरूरत पड़ने पर पूछताछ कर सकता है। बताया जा रहा है कि 100 करोड़ के इस घोटाले के मामले में रिटायर्ड हाई कोर्ट जस्टिस एसएन अग्रवाल इस आयोग के अध्यक्ष होंगे।
शीला और नजीब पर जांच की आंच
इस मामले में एलजी नजीब जंग और पूर्व सीएम शीला दीक्षित जांच के घेरे में हैं। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित की सरकार के दौरान ये घोटाला हुआ, जिसमें शीला के करीबी अफसरों के नाम आने के चलते इस मामले को दबाने के आरोप शीला सरकार पर लगे जबकि एलजी नजीब जंग पर सीबीआई की रिपोर्ट में आरोप लगे कि उन्होंने इस मामले की जांच आगे बढ़ने नहीं दी।
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