महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
मुंबई:
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का मानना है कि जो 'भारत माता की जय' के नारे न लगाए उसे देश में रहने का अधिकार नहीं है। शनिवार को फडणवीस ने बीजेपी की नासिक में चल रही राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सार्वजनिक सभा के दौरान यह बात कही। हालांकि रविवार को इस मुद्दे पर सफाई पेश करते हुए उन्होंने मीडिया को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।
मीडिया का एक धड़ा सिर्फ विवाद खड़ा करने का ही इच्छुक
महाराष्ट्र बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ता नासिक जिले में राज्य कार्यकारिणी की बैठक के लिए जुटे हैं। सरकार कार्यकर्ताओं के जरिए घर-घर अपने काम का बखान करना चाहती थी लेकिन पहले ही दिन नारेबाजी में उलझ गई। सूबे के मुखिया ने कह दिया कि देश में अगर रहना है तो भारत मां की जय कहना है। बात बढ़ी तो विज्ञप्ति के जरिए उन्होंने अपनी सफाई में कहा "50 मिनट के अपने भाषण में मैंने 45 मिनट तक महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति और विकास के बारे में बातें कहीं। सिर्फ 5 मिनट भारत माता की जय और शनि शिंगणापुर के मुद्दे पर बोला। लेकिन मीडिया ने सिर्फ इसी बात को उठाया जो साबित करता है कि मीडिया का एक धड़ा सिर्फ विवाद खड़ा करने का ही इच्छुक है। मैंने अपने भाषण में यह भी कहा था कि भारत माता की जय का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। मैं उन 500 से ज्यादा मुस्लिम धर्मगुरुओं को सलाम करता हूं जिन्होंने 17 मार्च के दिन माहिम दरगाह पर न सिर्फ तिरंगा फहराया बल्कि पूरी राष्ट्रीयता और देशभक्ति के साथ भारत माता की जय के नारे लगाए। हमें कोई समस्या नहीं है अगर कोई जय हिन्द या जय भारत या जय हिन्दुस्तान कहे, लेकिन हम सब विरोध करेंगे अगर कोई यह कहे कि हम भारत माता की जय नहीं कहेंगे। तुष्टिकरण की भी सीमा होती है।"
एक माह से जारी नारे पर विवाद
भारत माता की जय के नारे पर विवाद का सिलसिला शुरू हुआ 3 मार्च को संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से। उन्होंने कहा था "नई पीढ़ी को भारत मां कहने के लिए प्रेरित करना चाहिए।" मौका देखकर इस बयान पर एमआईएम के ओवैसी लपक लिए। पानी की गंभीर किल्लत से गुजर रहे लातूर में वह नारे पर गरजने लगे। असदउद्दीन ओवैसी ने 13 मार्च को कहा "कोई मेरी गर्दन पर छुरी रख दे, फिर भी मैं भारत मां की जय नहीं बोलूंगा।" मामले पर संघ की सफाई आई कि भारत मां की जय थोपने की बात हमने कभी नहीं कही। इसी बीच दारुल-उलूम-देवबंद ने मामले में फतवा जारी कर भारत मां की जय के नारे को गैर इस्लामी बता दिया।
विपक्ष ने की फडणवीस की आलोचना
राष्ट्रवाद की राजनीति महाराष्ट्र से शुरू हुई, सो राज्य के मुखिया ने भी बयान दिया। इस बयान पर विपक्ष ने विरोध की तलवार तान ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा " इस बात के लिए किसी पर दबाव बनाने का कोई मतलब नहीं है।" अली अनवर का कहना था कि फडणवीस इस मुद्दे पर ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं।
फडणवीस संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। नागपुर में उनके घर धरमपेठ से संघ मुख्यालय तकरीबन 10 किलोमीटर है। लोगों को लगता है कि यह नजदीकी उन्हें सत्ता के शीर्ष पर लाई है। ऐसे में मोहन भागवत के बयान पर जो सियासी बवंडर उठा है उसके जवाब में देवेन्द्र फडणवीस का कवच आर्श्चयजनक तो कतई नहीं है। हालांकि इस मुद्दे पर अब उन्होंने सफाई देकर मामले को शांत करने की कोशिश की है।
मीडिया का एक धड़ा सिर्फ विवाद खड़ा करने का ही इच्छुक
महाराष्ट्र बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ता नासिक जिले में राज्य कार्यकारिणी की बैठक के लिए जुटे हैं। सरकार कार्यकर्ताओं के जरिए घर-घर अपने काम का बखान करना चाहती थी लेकिन पहले ही दिन नारेबाजी में उलझ गई। सूबे के मुखिया ने कह दिया कि देश में अगर रहना है तो भारत मां की जय कहना है। बात बढ़ी तो विज्ञप्ति के जरिए उन्होंने अपनी सफाई में कहा "50 मिनट के अपने भाषण में मैंने 45 मिनट तक महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति और विकास के बारे में बातें कहीं। सिर्फ 5 मिनट भारत माता की जय और शनि शिंगणापुर के मुद्दे पर बोला। लेकिन मीडिया ने सिर्फ इसी बात को उठाया जो साबित करता है कि मीडिया का एक धड़ा सिर्फ विवाद खड़ा करने का ही इच्छुक है। मैंने अपने भाषण में यह भी कहा था कि भारत माता की जय का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। मैं उन 500 से ज्यादा मुस्लिम धर्मगुरुओं को सलाम करता हूं जिन्होंने 17 मार्च के दिन माहिम दरगाह पर न सिर्फ तिरंगा फहराया बल्कि पूरी राष्ट्रीयता और देशभक्ति के साथ भारत माता की जय के नारे लगाए। हमें कोई समस्या नहीं है अगर कोई जय हिन्द या जय भारत या जय हिन्दुस्तान कहे, लेकिन हम सब विरोध करेंगे अगर कोई यह कहे कि हम भारत माता की जय नहीं कहेंगे। तुष्टिकरण की भी सीमा होती है।"
एक माह से जारी नारे पर विवाद
भारत माता की जय के नारे पर विवाद का सिलसिला शुरू हुआ 3 मार्च को संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से। उन्होंने कहा था "नई पीढ़ी को भारत मां कहने के लिए प्रेरित करना चाहिए।" मौका देखकर इस बयान पर एमआईएम के ओवैसी लपक लिए। पानी की गंभीर किल्लत से गुजर रहे लातूर में वह नारे पर गरजने लगे। असदउद्दीन ओवैसी ने 13 मार्च को कहा "कोई मेरी गर्दन पर छुरी रख दे, फिर भी मैं भारत मां की जय नहीं बोलूंगा।" मामले पर संघ की सफाई आई कि भारत मां की जय थोपने की बात हमने कभी नहीं कही। इसी बीच दारुल-उलूम-देवबंद ने मामले में फतवा जारी कर भारत मां की जय के नारे को गैर इस्लामी बता दिया।
विपक्ष ने की फडणवीस की आलोचना
राष्ट्रवाद की राजनीति महाराष्ट्र से शुरू हुई, सो राज्य के मुखिया ने भी बयान दिया। इस बयान पर विपक्ष ने विरोध की तलवार तान ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा " इस बात के लिए किसी पर दबाव बनाने का कोई मतलब नहीं है।" अली अनवर का कहना था कि फडणवीस इस मुद्दे पर ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं।
फडणवीस संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। नागपुर में उनके घर धरमपेठ से संघ मुख्यालय तकरीबन 10 किलोमीटर है। लोगों को लगता है कि यह नजदीकी उन्हें सत्ता के शीर्ष पर लाई है। ऐसे में मोहन भागवत के बयान पर जो सियासी बवंडर उठा है उसके जवाब में देवेन्द्र फडणवीस का कवच आर्श्चयजनक तो कतई नहीं है। हालांकि इस मुद्दे पर अब उन्होंने सफाई देकर मामले को शांत करने की कोशिश की है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं