फाइल फोटो
नई दिल्ली:
चीन ने उत्तराखंड के बाराहोती में की घुसपैठ की है. बताया जा रहा है कि अगस्त के महीने में चीनी सेना ने तीन बार घुसपैठ की. सूत्रों ने जानकारी दी है कि अगस्त माह के दौरान चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने सेंट्रल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control - LAC) को तीन बार पार किया, जिसमें उत्तराखंड के बाराहोती में वे 3.5 किलोमीटर तक भीतर आ गए थे. ITBP सूत्रों के हवाले से ख़बर मिली है कि चीनी सेना ने 6 अगस्त, 14 अगस्त और 15 अगस्त को राहोती के रिमखिम पोस्ट के नज़दीक घुसपैठ की. बताया जा रहा है कि चीनी सेना 400 मीटर से लेकर 3.5 किलोमीटर तक अंदर घुस गए.
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा का विस्तार अब अफगानिस्तान तक करने की तैयारी
आपको बता दें कि अप्रैल में जारी इंडो-तिब्बन बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी की रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी पैंगोंग झील के पास गाड़ियों के जरिये 28 फ़रवरी, 7 मार्च और 12 मार्च 2018 को घुसपैठ की. रिपोर्ट में कहा गया है कि पैंगोंग झील के पास 3 जगहों पर चीनी सेना ने घुसपैठ की जिसमें वे लगभग 6 किलोमीटर तक अंदर घुस आए थे. आईटीबीपी जवानों के विरोध के बाद चीनी सैनिक वापस लौट गए. डोकलाम के बाद अब चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. उसने भारतीय सैनिकों के गश्त पर भी आपत्ति जताई. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के मुकाबले भारतीय सेना का बुनियादी ढांचा थोड़ा कमजोर है लेकिन भारत 1962 के मुकाबले काफी आगे जा चुका है. वहीं सरहद की रखवाली करने में जवानों के जोश और जज्बे में कोई कमी नहीं है.
एक और चाल: भारत से नेपाल को दूर करने और व्यापारिक निर्भरता कम करने के लिए चीन ने चला बड़ा दांव
चीन ने बना रखी है पक्की सड़क और हेलीपैड
अरुणाचल प्रदेश के किबितू इलाके से सटी सीमा चीन का टाटू कैंप और न्यू टाटू कैंप है. यहां पर चीनी सेना ने कंक्रीट की मजबूत की बिल्डिंग, फायरिंग रेंज और हेलीपैड साफ नजर आते हैं. यहां तक चीन ने पक्की सड़क भी बनाई हुई है. इधर भारत के अंदर चीन की तुलना में बुनियादी ढांचा अभी इतना मज़बूत नहीं हुआ है. ना तो सड़क पक्की है और ना ही पुख्ता संचार तंत्र. इसके बावजूद यहां तैनात भारतीय जवानों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं है. सहरद पर तैनात जवान पुष्प सिंह ने कहा था कि हम हर वक्त तैयार रहते हैं जवाब देने के लिए हमारे हौसले काफी बुलंद हैं. वहीं सूबेदार नेत्र सिंह ने बताया कि जो टास्क दिया जाता है उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. कठिन पहाड़ी इलाके, घने जंगलों और मौसम की मार के बीच वो हर लिहाज़ से मुस्तैद हैं. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि यहां मौसम हमेशा खराब हो जाता है जिससे खाना गीला हो जाता है.
China ने समुद्री जल में परिवर्तनों की समझ के लिए छोड़ा नया उपग्रह, करेगा ये सब
चीन की हरक़तों को देखते हुए ही भारत ने सरहदी इलाकों में बुनियादी ढांचा पक्का करने में तेज़ी लाई है. क़रीब साढ़े तीन हज़ार करोड़ रुपए की लागत से चीन से लगी सीमाओं पर सड़क निर्माण का काम तेज़ी से चल रहा है. ऐसे 73 प्रोजेक्ट्स में से 18 पूरे हो चुके हैं. बाकी प्रोजेक्ट 2020 तक पूरे किए जाने का लक्ष्य है.
VIDEO: भारतीय सीमा में घुसी चीनी सैनिक, सेना ने खदेड़ा
The People's Liberation Army(Chinese Army) transgressed the Line of Actual Control (LAC) three times in August towards the central sector, Uttarakhand in Barahoti where the transgression was 4 kms deep: Sources pic.twitter.com/HMa2It5yS2
— ANI (@ANI) September 12, 2018
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आपको बता दें कि अप्रैल में जारी इंडो-तिब्बन बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी की रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी पैंगोंग झील के पास गाड़ियों के जरिये 28 फ़रवरी, 7 मार्च और 12 मार्च 2018 को घुसपैठ की. रिपोर्ट में कहा गया है कि पैंगोंग झील के पास 3 जगहों पर चीनी सेना ने घुसपैठ की जिसमें वे लगभग 6 किलोमीटर तक अंदर घुस आए थे. आईटीबीपी जवानों के विरोध के बाद चीनी सैनिक वापस लौट गए. डोकलाम के बाद अब चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. उसने भारतीय सैनिकों के गश्त पर भी आपत्ति जताई. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के मुकाबले भारतीय सेना का बुनियादी ढांचा थोड़ा कमजोर है लेकिन भारत 1962 के मुकाबले काफी आगे जा चुका है. वहीं सरहद की रखवाली करने में जवानों के जोश और जज्बे में कोई कमी नहीं है.
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अरुणाचल प्रदेश के किबितू इलाके से सटी सीमा चीन का टाटू कैंप और न्यू टाटू कैंप है. यहां पर चीनी सेना ने कंक्रीट की मजबूत की बिल्डिंग, फायरिंग रेंज और हेलीपैड साफ नजर आते हैं. यहां तक चीन ने पक्की सड़क भी बनाई हुई है. इधर भारत के अंदर चीन की तुलना में बुनियादी ढांचा अभी इतना मज़बूत नहीं हुआ है. ना तो सड़क पक्की है और ना ही पुख्ता संचार तंत्र. इसके बावजूद यहां तैनात भारतीय जवानों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं है. सहरद पर तैनात जवान पुष्प सिंह ने कहा था कि हम हर वक्त तैयार रहते हैं जवाब देने के लिए हमारे हौसले काफी बुलंद हैं. वहीं सूबेदार नेत्र सिंह ने बताया कि जो टास्क दिया जाता है उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. कठिन पहाड़ी इलाके, घने जंगलों और मौसम की मार के बीच वो हर लिहाज़ से मुस्तैद हैं. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि यहां मौसम हमेशा खराब हो जाता है जिससे खाना गीला हो जाता है.
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चीन की हरक़तों को देखते हुए ही भारत ने सरहदी इलाकों में बुनियादी ढांचा पक्का करने में तेज़ी लाई है. क़रीब साढ़े तीन हज़ार करोड़ रुपए की लागत से चीन से लगी सीमाओं पर सड़क निर्माण का काम तेज़ी से चल रहा है. ऐसे 73 प्रोजेक्ट्स में से 18 पूरे हो चुके हैं. बाकी प्रोजेक्ट 2020 तक पूरे किए जाने का लक्ष्य है.
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