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चीन क्यों हो गया चीनी जैसा मीठा? रिश्तों में मिठास की चीनी 'विश लिस्ट' में देखिए क्या-क्या है

India-China Relations: पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच का रिश्ता कैसे खास है, ये चीन के अधिकारियों ने बताया. उनकी बातों से पता चलता है कि चीन भारत से बहुत सी उम्मीदें लगाए बैठा है, जिनको पूरा होने की उम्मीद भी वह जता रहा है.

चीन क्यों हो गया चीनी जैसा मीठा? रिश्तों में मिठास की चीनी 'विश लिस्ट' में देखिए क्या-क्या है
भारत से बहुत सी उम्मीदें लगाए बैठा है चीन.
दिल्ली:

सीमा पर आंखें दिखाने वाला चीन अब चीनी जैसा मीठा बोल रहा है. लद्दाख में गश्त का रास्ता खोलने और कजान में पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग की मुलाकात के बाद अब चीन की विश (China Wish List) है कि दोनों देशों के रिश्तों में 2020 से पहले वाली मिठास घुल जाए. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी ने कहा कि चीन चाहता है कि दोनों मुल्कों के रिश्ते (India China Relations) अप्रैल-मई 2020 से पहले जैसे सामान्य हो जाएं, इस पर काम चल रहा है. चीन को उम्मीद है कि उसकी 'विश लिस्ट' जल्द ही पूरी हो जाएगी. 

चीन की विश लिस्ट में क्या-क्या?

  • चीन की इस विश लिस्ट में दोनों मुल्कों के बीच सीधी फ्लाइट
  • चीनी मोबाइल ऐप पर से बैन हटाना
  • चीनी राजनयिकों और छात्रों के वीजा में नरमी
  • चीनी पत्रकारों को भारत आने की परमिशन देना
  •  चीनी सिनेमाघरों में ज्यादा भारतीय फिल्मों की परमिशन देना 

उम्मीद भरी नजरों से भारत को देख रहा चीन

रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों के अधिकारी अगले हफ्ते ब्राजील में होने वाली G-20 की बैठक में मिल सकते हैं. चीन उम्मीद जता रहा है कि उनकी विश जल्द ही पूरी होगी. सीमा पर गतिरोध खत्म होने के बाद यह पहली बार है जब चीनी अधिकारियों ने भारतीय मीडिया डेलिगेशन से मुलाकात की है. चीन की सरकार ये भी उम्मीद जता रही है कि पीएम मोदी अगले साल शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए चीन आ सकते हैं. 

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चीन के अधिकारियों के मुताबिक, शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच पिछले महीने रूस के कज़ान में बढ़िया बातचीत हुई थी. उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं के बीच दोस्ती देखने को मिली. दोनों ही नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक के लिए अपने सहयोगियों की तरफ से तैयार किए गए बातचीत के पॉइंट्स का जिक्र नहीं करने का फैसला लिया था. कोरोना महामारी और एलएसी पर टकराव के बाद पांच साल में यह उनकी पहली बैठक थी.

भारत-चीन के बीच मुलाकातों का दौर

दोनों देशों के नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों (एसआर), विदेश मंत्रियों और उप विदेश मंत्रियों से अगले कदमों और बैठकों पर चर्चा करने की बात भी कही. चीनी अधिकारी का कहना है कि एसआर और सीनियर मंत्री और अधिकारियों को 18-19 नवंबर को ब्राजील में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मिल सकते हैं. उनका कहना है कि फैसला अब भारत को लेना है.

चीन ने इस बात पर भी जोर दिया कि वह वाइडर वर्ल्ड को एकीकृत और ओपन अप करना चाहता है. चीनी अधिकारियों का कहना है कि इस मुद्दे पर चीन और भारत दोनों का दृष्टिकोण एक जैसा है. कज़ान की बैठक में  दोनों नेता मिले और रिश्तों को रणनीतिक ऊंचाई पर लेकर गए. उनको सभी मुद्दों को एक साथ संबोधित करने की जरूरत है.

कैसे खास है पीएम मोदी और जिनपिंग का रिश्ता?

चीनी अधिकारियों का कहना है कि सबसे पहले बॉर्डर मुद्दे को तेज गति से सॉल्व करना होगा, लेकिन ये मुद्दा रिश्ते का केंद्र नहीं होना चाहिए. अब तक कमांडरों और राजनयिकों स्तर पर 20 राउंड बातचीत हो चुकी है. खास बिंदुओं पर डिसइंगेजमेंट हुआ है, ये दोनों नेताओं की मुलाकात से पहले हुआ. दोनों नेताओं की बातचीत पॉजिटिव रही. दोनों ही नेता रिश्ते को हमेशा बेहतर बनाना चाहते हैं. इस बार पीएम मोदी ने बातचीत के बिंदुओं या आधिकारिक नोट्स से कुछ नहीं पढ़ा. उन्होंने दिल से बात की. और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी कुछ ऐसा ही किया. इससे उनके बीच के खास रिश्ते का पता चलता है. 

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भारत-चीन को इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत

चीनी अधिकारियों ने दोनों पक्षों को आपसी बातचीत के जरिए रिश्ते को आगे बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सीमा मुद्दे को सुलझाने समेत अन्य मुद्दों पर समन्वय करने की जरूरत है.  लेकिन, सबसे पहले, दोनों को हर स्तर पर और हर मौके को लेकर बात करने की जरूरत है. कोरोना महामारी और सीमा के हालात की वजह से कई सालों तक दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बाहरी ताकतों की वजह से गलतफहमी पैदा हुई. भारत और चीन को ज्यादा सहयोग करने और जलवायु परिवर्तन और एआई, हरित ऊर्जा परिवर्तन जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.

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