विज्ञापन
This Article is From May 17, 2022

चीन अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा : सेना

पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने साथ ही कहा कि भारतीय पक्ष भी सीमा के पास हर प्रकार की संभावित स्थिति से निपटने की तैयारी के तहत अपने बुनियादी ढांचे को लगातार उन्नत कर रहा

चीन अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा : सेना
प्रतीकात्मक फोटो.
गुवाहाटी:

भारतीय थलसेना की पूर्वी कमान के प्रमुख ने सोमवार को कहा कि चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी' (PLA) अरुणाचल प्रदेश के पास लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बुनियादी ढांचे संबंधी क्षमता बढ़ा रही है. पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने साथ ही कहा कि भारतीय पक्ष भी सीमा के पास हर प्रकार की संभावित स्थिति से निपटने की तैयारी के तहत अपने बुनियादी ढांचे को लगातार उन्नत कर रहा है.

उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘तिब्बत क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के उस पार बुनियादी ढांचे के विकास संबंधी काफी काम हो रहा है. दूसरा पक्ष अपने सड़क, रेल और हवाई संपर्क साधनों के साथ-साथ 5जी मोबाइल नेटवर्क का लगातार उन्नयन कर रहा है, ताकि वे किसी भी स्थिति में प्रतिक्रिया देने या अपने बलों को लाने-ले जाने के लिए बेहतर स्थिति में हों.''

कलिता ने कहा कि चीनी प्राधिकारियों ने एलएसी के पास सीमावर्ती गांव विकसित किए हैं, ताकि उनका इस्तेमाल इन दोनों लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया जा सके. उन्होंने कहा, ‘‘हम हालात पर लगातार नजर रख रहे हैं. हम भी हमारे बुनियादी ढांचे और क्षमताओं के साथ-साथ हालात से निपटने के लिए तंत्र का उन्नयन कर रहे हैं. इनसे हम मजबूत स्थिति में आ गए हैं.''

उन्होंने कहा कि भारतीय थलसेना ‘‘उच्च स्तर की अभियानगत तैयारियों'' के साथ पूरी तरह तैयार है.

भारतीय थलसेना के कमांडर ने स्वीकार किया कि सीमावर्ती स्थलों पर क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को विकसित करने में दुर्गम स्थल और खराब मौसम सबसे बड़ी चुनौती हैं, जिनके कारण इन परियोजनाओं को पूरा करने में देरी होती है. 

कई स्थानों पर दो बड़ी सशस्त्र सेनाओं के बीच सीमा पर गतिरोध पैदा होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विशेष रूप से मैकमहोन रेखा पर वास्तविक सीमा को ठीक से सीमांकित नहीं किया गया है.

कलिता ने कहा, ‘‘इसके कारण भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर अलग-अलग अवधारणाएं हैं, जिन पर दोनों पक्षों में सहमति नहीं है. हम अधिकतर समय मौजूदा तंत्र के माध्यम से स्थिति को संभाल लेते हैं, लेकिन कई बार इससे टकराव हो जाता है.''

उन्होंने इस बात से इनकार किया कि चीन के साथ लगती सीमा पर कोई घुसपैठ हो रही है. उन्होंने कहा कि जो कुछ भी बताया जा रहा है, वह केवल अवधारणात्मक समस्या के कारण है. उन्होंने कहा कि 1962 के युद्ध के बाद से घुसपैठ का कोई मामला सामने नहीं आया है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि उचित तरीके से सीमांकन हो जाने के बाद कोई समस्या नहीं होगी.

पीएलए को अपनी संप्रभुता और सीमा की रक्षा के लिए अधिक शक्ति प्रदान करने के मकसद से चीन द्वारा जनवरी में लागू किए गए भूमि सीमा कानून के बारे में पूछे जाने पर कलिता ने कहा कि सेना और अन्य हितधारक नए कानूनों के विभिन्न प्रभावों का विश्लेषण कर रहे हैं.

कलिता ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में उग्रवादी समूहों ने अपना ‘‘वैचारिक आधार एवं लोगों का समर्थन'' खो दिया है और वे जबरन वसूली के साथ-साथ हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के जरिए स्वयं को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com