सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद
नई दिल्ली:
सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने मंगलवार को कहा कि चीन, भारत के पड़ोस में हिमालयी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और आने वाले सालों में उसका एक 'खतरा' बनना तय है. उन्होंने साथ ही सीमापार गोलाबारी में आम नागरिकों को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान सेना की भी आलोचना करते हुए कहा कि वे 'इतना नीचे गिर गए' हैं कि स्कूलों पर गोलीबारी कर रहे हैं.
चंद ने सेना तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित दो दिन के सम्मेलन 'एमीकॉन 2017' के उद्घाटन सत्र में कहा, 'भारतीय सेना ऐसा नहीं करेगी.' उन्होंने सेना प्रमुख बिपिन रावत की 'भारतीय सेना ढाई मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार है' टिप्पणी को भी ज्यादा तूल ना देते हुए कहा कि जनरल रावत कोई 'युद्धोन्मोद नहीं भड़काना' चाहते थे, बल्कि इतना भर कहना चाहते थे कि भारत को अपनी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.
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पिछले महीने चीनी सेना ने रावत की टिप्पणी को 'गैर-जिम्मेदाराना' बताते हुए उनसे युद्ध का शोर ना मचाने को कहा था. चंद की टिप्पणी सिक्किम सेक्टर में तीन देशों (भारत, भूटान, चीन) के सीमा मिलन बिंदु पर भारतीय एवं चीनी सेना के बीच एक महीने से जारी तनातनी के बीच आई है.
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उन्होंने कहा, 'चीन हमारे पड़ोस में हिमालयी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. उसके आने वाले समय में हमारे लिए एक खतरा बनना तय है. चंद ने कहा कि चीनी रक्षा व्यय का एक बड़ा हिस्सा 'अघोषित' है. उन्होंने कहा कि भारत को मौजूदा परिप्रेक्ष्य को देखते हुए सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है और आर्थिक विकास के लिए सुरक्षा मुहैया कराने के लिहाज से सैन्य ताकत बेहद जरूरी है.
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शरत चंद ने पाकिस्तान को 'छोटी अर्थव्यवस्था वाला एक छोटा देश' बताते हुए कहा कि इसी कारण से उसने एक पूर्ण युद्ध छेड़ने की बजाए भारत को बांधे रखने के लिए कम तीव्रता वाला संघर्ष शुरू किया हुआ है. चंद ने कहा कि पाकिस्तान ने एक स्कूल पर गोलाबारी की और ऐसी हरकत लगातार कर रहा है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
चंद ने सेना तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित दो दिन के सम्मेलन 'एमीकॉन 2017' के उद्घाटन सत्र में कहा, 'भारतीय सेना ऐसा नहीं करेगी.' उन्होंने सेना प्रमुख बिपिन रावत की 'भारतीय सेना ढाई मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार है' टिप्पणी को भी ज्यादा तूल ना देते हुए कहा कि जनरल रावत कोई 'युद्धोन्मोद नहीं भड़काना' चाहते थे, बल्कि इतना भर कहना चाहते थे कि भारत को अपनी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.
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