जांजगीर जिले के पिहरीद गांव में खुले बोरवेल में गिरे 10 वर्षीय राहुल साहू ने युद्ध स्तर पर चले अभियान के बाद अंततः निकाल लिया गया है. राहुल साहू 10 जून को 4 बजे बोरवेल में गिरा था. राहुल के सुरक्षित बाहर निकालने के बाद शासन एवं प्रशासन ने चैन की सांस ली है. 10 जून से लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल saverahulabhiyan का अपडेट लेते रहे थे. राहुल को बाहर निकालने पिछले दो दिनों से सेना के जवान भी जी जान से जुटे हुए थे. राहुल को निकालने के बाद मालखरौदा से जांजगीर, मस्तूरी के रास्ते राहुल को बिलासपुर लाया गया. जहां उसे अस्पताल में दाखिल कराया गया. एम्बुलेंस में राहुल के साथ माता-पिता उसके साथ थे.
देश में अभी तक बोरवेल में बच्चों के गिरने की जितनी घटनाएं हुई हैं, उनमें ये सबसे ज्यादा देर तक चलने वाला आपरेशन है. इसके पहले जुलाई 2006 में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में प्रिंस को 50 घंटे के संघर्ष के बाद बचाया गया था.
पिहरीद में राहुल को बचाने 104 घंटे से ज्यादा का समय लगने की वजह ये है कि गड्ढे के आसपास चट्टानें थीं. जिन्हें काटने में काफ़ी लंबा वक्त लगा. चट्टानों को काटते वक्त अति सावधानी बरती गई थी, ताकि राहुल को किसी तरह का खतरा न हो. राहुल न बोल सकता है न सुन सकता है राहुल ने जीवन और मौत के बीच संघर्ष किया उसे बड़ा चमत्कार माना जा रहा है. उसे 11 बजकर 57 मिनट पर निकाला गया. जांजगीर कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला एवं एसपी विजय अग्रवाल एसडीएम रैना जमील पूरे समय तक घटनास्थल के पास डटे रहे हैं.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया कि चुनौती बड़ी थी. हमारी टीम भी कहां शांत खड़ी थी.रास्ते अगर चट्टानी थे.तो इरादे हमारे फौलादी थे. सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है.वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है.
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