सियाचिन में सेना की शान चीता और चेतक हेलीकॉप्टर को थलसेना अगले तीन - चार सालों में चरणबद्ध तरीके से हटाएगी. आर्मी एविएशन कोर को सेना की जरूरतों के लिए ऐसे 250 हल्के हेलीकॉप्टर की जरूरत है. फिलहाल सेना के पास करीब 190 चेतक और चीता हेलीकॉप्टर हैं. सेना को अगले कुछ सालों में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड से 100 के करीब लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर मिलेंगे.
सेना बाकी जरूरतों को पूरा करने के लिए लीज पर भी हेलीकॉप्टर लेने पर विचार कर रही है. हालांकि सेना का कहना है कि हमारी कोशिश तो रहेगी कि हम देश में बने हेलीकॉप्टर ही लें, लेकिन अगले 10-12 सालों में एचएएल इतने एलयूएच हेलीकॉप्टर सेना को सप्लाई कर पाएगी, इसकी संभावना ना के बराबर है.
आर्मी सियाचिन जैसे दुर्गम और कठिन इलाके में सैनिकों और समान को ले आने में चीता और चेतक का इस्तेमाल करती है. इस ऊंचाई में दूसरा कोई हेलीकॉप्टर उतना सफल नही हो पाता है. 12 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर भी ये आसानी से उड़ पाता है. हालांकि इसमें ऑटो पायलट नही हैं. ये हर मौसम में फ्लाई भी नहीं कर सकता है. करीब 50 साल पुराना भी हो गया है. कई बार इन हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने पर भी इनके हटाये जाने की बात उठी, लेकिन इतनी जल्दी इनको रिप्लेस नहीं किया जा सकता है.
सेना के मुताबिक अगले करीब 10 सालों चीता और चेतक हेलीकॉप्टर पूरी तरह हटा लिए जाएंगे.
वहीं अगर देश में बने एलयूएच की बात करें तो इसका इंजन और एवोनिक्स अत्याधुनिक है. हर मौसम में उड़ान भर सकता है. एविएशन कोर की मानें तो चीता और चेतक से एलयूएच 25 से 30 फीसदी बेहतर है.
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