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This Article is From Mar 15, 2024

चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामला : रिटर्निंग ऑफिसर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा 

इस हलफनामे में अनिल मसीह ने कहा कि इस तनावपूर्ण माहौल में अदालत में गरमागरम बहस ने मुझे प्रभावित किया है. जब मैं अदालत में सवालों के जवाब दे रहा था, उस दौरान भी मैं दवा ले रहा था.

चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामला : रिटर्निंग ऑफिसर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा 
चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है
नई दिल्ली:

चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामा दाखिल कर अदालत के अवमानना नोटिस का जवाब दिया है. इस हलफनामे में वह AAP सदस्यों द्वारा 8 बैलेट पेपर को खराब करने के दावे पर कायम हैं लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे सके. उन्होंने आगे कहा है कि वीडियो लीक होने के बाद से वह डिप्रेशन में थे. आगे कहा गया है कि इस तनावपूर्ण माहौल में अदालत में गरमागरम बहस ने मुझे प्रभावित किया है. जब मैं अदालत में सवालों के जवाब दे रहा था, उस दौरान भी मैं दवा ले रहा था. बता दें कि हलफनामा दाखिल होने के बाद आज इस मामले में फिर सुनवाई होगी. 

अनिल मसीह को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी 

बता दें कि चंडीगढ़ महापौर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) के निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कुछ दिन पहले ही फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत ने उसके समक्ष गलतबयानी करने और मतों की गिनती के दौरान ‘अवैध कार्य' करने के लिए अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि मसीह ने आठ मतपत्रों पर निशान लगाए थे, ताकि उन्हें अवैध मानने का आधार तैयार किया जा सके. न्यायालय ने 30 जनवरी के चुनाव परिणाम को रद्द करते हुए आम आदमी पार्टी (आप)-कांग्रेस गठबंधन के पराजित उम्मीदवार कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का नया महापौर घोषित कर दिया था.

कोर्ट ने मांगा था जवाब

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि यह भी स्पष्ट है कि पीठासीन अधिकारी (मसीह) ने जो भूमिका निभाई है, वह गंभीर कदाचार है. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया था कि वह मसीह को नोटिस जारी कर बताएं कि न्यायालय के समक्ष कथित रूप से गलत बयान देने के लिए क्यों न उनके खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत कार्यवाही शुरू की जाए.

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