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This Article is From Jun 20, 2019

सरकार का बड़ा कदम- मेक इन इंडिया के तहत बनेंगी 6 पनडुब्बियां, 45000 करोड़ की आएगी लागत

प्रोजेक्‍ट 75-I के तहत 45000 करोड़ रुपये की इस परियोजना में रुचि रखने वाले अंतरराष्‍ट्रीय पनडुब्‍बी निर्माता को भारत के साथ रणनीतिक साझेदार के रूप में काम करना होगा जो इन पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही करेगा.

सरकार का बड़ा कदम- मेक इन इंडिया के तहत बनेंगी 6 पनडुब्बियां, 45000 करोड़ की आएगी लागत
इस परियोजना के तहत बनने वाली पहली पनडुब्‍बी अगले 5 साल तक नौसेना में शामिल हो पाएंगी.
नई दिल्ली:

सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय नौसेना के लिए एडवांस्‍ड डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्‍बी के निर्माण के लिए दूसरी प्रोडक्‍शन लाइन शुरू करने का फैसला किया है. प्रोजेक्‍ट 75-I के तहत 45000 करोड़ रुपये की इस परियोजना में रुचि रखने वाले अंतरराष्‍ट्रीय पनडुब्‍बी निर्माता को भारत के साथ रणनीतिक साझेदार के रूप में काम करना होगा जो इन पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही करेगा.

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रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 'इस परियोजना से स्‍वदेशी डिजाइन और भारत में ही पनडुब्‍बी निर्माण की क्षमता को जबरदस्‍त बढ़ावा मिलेगा, साथ ही पनडुब्बियों की नवीनतम डिजाइन और तकनीक भी इसका हिस्‍सा होंगे.' अगर यह परियोजना कामयाब होती है, तो भारत पनडुब्बियों के डिजाइन और निर्माण के अंतरराष्‍ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा. भारतीय नौसेना के पास भविष्य में कंसोर्टियम से छह और पनडुब्बियों के ऑर्डर देने के विकल्प है.

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इस मेगा प्रोजेक्‍ट में रुचि रखने वाली भारतीय कंपनियां आज की इस घोषणा पर दो महीने के भीतर प्रतिक्रिया दे सकती हैं. सरकार का कहना है कि, 'भारतीय कंपनियों का चयन उनकी वित्तीय क्षमता, जहाज निर्माण क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और सिस्‍टम्स के एकीकरण की उनकी क्षमता के आधार पर किया जाएगा.' एक बार भारतीय कंपनियां इस परियोजना को लेकर अपनी रुचि बता दें, उसके बाद सरकार खरीद प्रक्रिया में रिक्‍वेस्‍ट फॉर प्राइसिंग (आरएफपी) स्‍टेज पर आगे बढ़ेगी जिसके आधार पर वाणिज्यिक बोलियों की जांच की जाएगी.

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इसके बाद सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के नाम की इस परियोजना की विजेता के रूप में घोषणा की जाएगी. उसके बाद भारतीय कंपनी और उसकी विदेशी पार्टनर का ज्‍वाइंट वेंचर, देश में ही पनडुब्बियों का निर्माण शुरू करेंगे. हालांकि ऐसा लगता है कि इस परियोजना के तहत बनने वाली पहली पनडुब्‍बी अगले 5 साल तक भारतीय नौसेना में शामिल हो पाएंगी. कारगिल युद्ध के बाद, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने भारत में ही दो प्रोडक्‍शन लाइन के जरिए पनडुब्‍बी निर्माण की 30 साल की योजना को हरी झंडी दी थी. इनमें परंपरागत के साथ-साथ परमाणु पनडुब्बियां भी शामिल होंगी.

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एक ओर भारतीय नौसेना अपने मझगांव डॉक्‍स पर फ्रांस की डिजाइन की गई स्‍कॉर्पीन क्‍लास पनडुब्‍बी का निर्माण प्रोजेक्‍ट-75 के तहत कर रही है तो दूसरी ओर उससे कहीं अधिक महत्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट -75I में बुरी तरह से देरी हुई है. मोदी सरकार का यह कदम अपने रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत उठाया गया दूसरा बड़ा कदम है. इससे पहले सरकार ने नौसेना के लिए 111 नेवल यूटिलिटी हेलीकॉप्‍टर (NUH) की खरीद को मंजूरी दी थी.

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भारतीय नौसेना वर्तमान में 14 परंपरागत पनडुब्बियों का इस्‍तेमाल करती है और स्‍कॉर्पीन क्‍लास की 5 और पनडुब्बियों को शामिल करने की प्रक्रिया में है जो निर्माण और परीक्षण के विभिन्‍न चरणों में हैं. नौसेना दो परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का, जो भारत में ही बनी हैं और एक रूस में निर्मित परमाणु ऊर्जा चालित लड़ाकू पनडुब्‍बी का इस्‍तेमाल करती है. भारत की परमाणु पनडुब्बियों का बेस विशाखापट्टनम में है, जबकि डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का बेस मुंबई और विशाखापट्टनम दोनों जगहों पर है.

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