केंद्रीय मंत्री सजीव बालियान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दाल की कीमतों को नियंत्रित करने की जद्दोजहद में जुटी एनडीए सरकार को अब अगले साल एक बड़ी चुनौती से जूझना पड़ेगा। इस साल दाल की बुवाई कम हुई है। यानी जब सप्लाई कम होगी तो दाम और बढ़ सकते हैं।
देश में इस साल किसानों ने दाल कम बोई है। क़रीब सात लाख हेक्टेयर खेतों पर इस साल कुछ और बोया गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 4 दिसंबर तक 100.42 लाख हेक्टेयर इलाके में दलहन की फ़सल लगाई गई है, जबकि बीते साल क़रीब 106.93 लाख हेक्टेयर खेतों में दलहन लगी थी। मतलब साफ है, साल 2016 में दाल कम होगी- खेत में भी और बाज़ार में भी।
मंत्री का बयान
एनडीटीवी से बातचीत में कृषि राज्यमंत्री संजीव बालयान ने माना कि ये आंकड़े सरकार के लिए चिंता का विषय है और नए साल में सरकार को दाल ज़्यादा आयात करना पड़ेगा, हालांकि दाल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने अलग-अलग दालों के लिए इस साल न्यून्तम सहायता मूल्य बढ़ाया था।
कारोबारी भी परेशान हैं
उधर, दाल के कारोबारी भी परेशान हैं। दाल के कारोबार में पहले ही गिरावट है। अब नए साल में भी इस संकट से जूझना पड़ेगा। सेन्ट्रल दिल्ली के साउथ एवेन्यू इलाके के किराना दुकानदार अशोक खुराना कहते हैं, "ये हमारे लिए बुरी खबर है। बाज़ार में दाल और महंगी होगी तो हमारी बिक्री घटेगी, यानी हमारा नुकसान ज़्यादा होगा"।
ज़ाहिर है, अगले साल फिर दाल महंगी हुई तो सरकार सवालों से घिरेगी। 2016 में चार अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। यानी दाल का संकट उसका राजनीतिक संकट भी बन सकता है।
देश में इस साल किसानों ने दाल कम बोई है। क़रीब सात लाख हेक्टेयर खेतों पर इस साल कुछ और बोया गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 4 दिसंबर तक 100.42 लाख हेक्टेयर इलाके में दलहन की फ़सल लगाई गई है, जबकि बीते साल क़रीब 106.93 लाख हेक्टेयर खेतों में दलहन लगी थी। मतलब साफ है, साल 2016 में दाल कम होगी- खेत में भी और बाज़ार में भी।
मंत्री का बयान
एनडीटीवी से बातचीत में कृषि राज्यमंत्री संजीव बालयान ने माना कि ये आंकड़े सरकार के लिए चिंता का विषय है और नए साल में सरकार को दाल ज़्यादा आयात करना पड़ेगा, हालांकि दाल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने अलग-अलग दालों के लिए इस साल न्यून्तम सहायता मूल्य बढ़ाया था।
कारोबारी भी परेशान हैं
उधर, दाल के कारोबारी भी परेशान हैं। दाल के कारोबार में पहले ही गिरावट है। अब नए साल में भी इस संकट से जूझना पड़ेगा। सेन्ट्रल दिल्ली के साउथ एवेन्यू इलाके के किराना दुकानदार अशोक खुराना कहते हैं, "ये हमारे लिए बुरी खबर है। बाज़ार में दाल और महंगी होगी तो हमारी बिक्री घटेगी, यानी हमारा नुकसान ज़्यादा होगा"।
ज़ाहिर है, अगले साल फिर दाल महंगी हुई तो सरकार सवालों से घिरेगी। 2016 में चार अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। यानी दाल का संकट उसका राजनीतिक संकट भी बन सकता है।
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