कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना (फाइल फोटो)
केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) सोमवार को भी जारी है. किसानों और सरकार के बीच आज नए दौर की बैठक होनी है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आज की बैठक में किसान संगठन और केंद्र किसी ठोस समाधान पर पहुंचेंगे. बैठक में नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी स्वरूप देने पर चर्चा होगी. ठिठुरती ठंड और बारिश के बीच 40 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर टिके प्रदर्शनकारी किसानों ने धमकी दी है कि यदि तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की उनकी दो बड़ी मांगें सरकार चार जनवरी की बैठक में नहीं मानती है तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे. बुधवार को हुई पिछली बैठक में पराली और बिजली संशोधन बिल पर किसानों और केंद्र के बीच सहमति बनी थी.
किसान आंदोलन मामले से जुड़ी अहम जानकारियां
- किसान और सरकार की बातचीत से पहले से एक दिन पहले रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक की और वर्तमान संकट के यथाशीघ्र समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की. समाचार एजेंसी भाषा ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी. तोमर ने सिंह के साथ इस संकट के समाधान के लिए ‘बीच का रास्ता' ढूंढने के लिए ‘‘सभी संभावित विकल्पों'' पर चर्चा की.
- हरियाणा में रविवार को किसानों और पुलिस के बीच झड़प की नौबत आ गई. रेवाड़ी-अलवर सीमा पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों के खिलाफ मुख्य आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली मार्च कर रहे थे. पुलिस ने मार्च रोकने के लिए कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे.
- दिल्ली की सीमाओं पर ठिठुरती ठंड और बारिश के बीच टिके प्रदर्शनकारी किसानों ने धमकी दी है कि यदि तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की उनकी दो बड़ी मांगें सरकार चार जनवरी की बैठक में नहीं मानती है तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे.
- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कहा कि देश की आजादी के बाद से पहली बार ऐसी ‘‘अहंकारी'' सरकार सत्ता में आई है, जिसे अन्नदाताओं की ‘‘पीड़ा'' दिखाई नहीं दे रही है. साथ ही, उन्होंने नये कृषि कानूनों को बिना शर्त फौरन वापस लेने की मांग की.
- किसानों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की धमकी दी है. किसानों का कहना है कि 23 जनवरी को, यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सभी राज्यपालों के आवास पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. किसान आंदोलन का समन्वय कर रही 7 सदस्यीय समन्वय समिति ने शनिवार को सरकार को यह अल्टीमेटम दिया.
- सिंघु बॉर्डर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने कहा कि वे 13 जनवरी को नए कानूनों की प्रतियां जलाकर लोहड़ी का त्योहार मनाएंगे. किसानों ने कहा कि वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर 23 जनवरी को ''आजाद हिंद किसान दिवस'' के रूप में मनाएंगे.
- सिंघु बॉर्डर की तरह टिकरी बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान सड़कों पर डटे हुए हैं. टिकरी बॉर्डर पर सर्दी की वजह से शनिवार से अब तक 2 किसानों की मौत की खबर भी आ चुकी है. लोग सर्दी से बचाव के लिए अलाव और बारिश से बचने के लिए वाटरप्रूफ टेंट का सहारा ले रहे हैं.
- दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के हौसले बुलंद हैं. किसान दद्दन सिंह ने कहा, "जो लोग सत्ता में हैं वो कमरों के अंदर बैठे हैं, हम उन्हें बता देना चाहते हैं कि हम ऐसे मौसम से नहीं डरते."
- पांच दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में सरकार और 40 किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि एवं पराली जलाने पर जुर्माने पर प्रदर्शनकारी किसानों की चिंताओं के समाधान पर बात बनी थी. हालांकि, तीन कृषि कानूनों के निरसन एवं एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के विषय पर दोनों पक्षों में गतिरोध कायम है.
- छठे दौर की बैठक के बाद जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से पूछा गया कि क्या उन्हें उम्मीद है कि चार जनवरी की बैठक आखिरी दौर होगा, तो उन्होंने कहा, "मैं ऐसा पक्के तौर पर नहीं कह सकता. मै कोई ज्योतिषी नहीं हूं. मैं आशान्वित हूं कि (बैठक में) जो भी निर्णय होगा, वह देश और किसानों के हित में होगा."
(भाषा के इनपुट के साथ)