केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस से लड़ने के लिए बुधवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया है. यह अधिनियम आज देश में पहली बार लगाया गया है. इससे केंद्र ने राज्यों में कोरोनावायरस के खिलाफ जंग को अपने नियंत्रण में ले लिया है. आमतौर पर स्वास्थ्य से जुड़े मामले राज्य सरकार के अधीन आते हैं. कोरोनावायरस को देश के लिए खतरा बताते हुए गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इस संबंध में जरूरी कदम उठाएगा. देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 562 हो गई. अब तक 9 मरीजों की इस वायरस से मौत हो चुकी है.
सूत्रों ने कहा कि राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों और केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई बैठक में राज्यों से कहा गया है कि उन्हें कोरोनावायरस के मामले में केंद्र के निर्देशों का पालन करना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल शाम देश के नाम अपने संबोधन में कहा था कि यह लॉकडाउन "कर्फ्यू की तरह" होगा. उन्होंने कहा, "आज (मंगलवार) रात 12 बजे से 21 दिन के लिए पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन होगा. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का साइकिल तोड़ने के लिए यह 21 दिन जरूरी हैं. अगर ये 21 दिन नहीं संभले तो फिर कई परिवार तबाह हो जाएंगे. इस लॉकडाउन को कर्फ्यू की तरह ही समझें."
राज्यों को बताया गया कि लोगों की ओर से लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं लेने को देखते हुए लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर एनडीएमए (NDMA) अधिनियम के तहत प्रावधान लागू होंगे और इसे कड़ाई से लागू किया जाएगा.
लॉकडाउन के लिए घोषित दिशानिर्देशों में सरकार ने कहा कि यदि कोई "रोकथाम के उपाय" का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 से 60 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 के तहत कार्रवाई होगी. धारा 188 के तहत छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
सूत्रों ने कहा कि बैठक में राज्यों से स्वास्थ्य अधिकारियों - डॉक्टरों और सहायक कर्मचारियों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है. देश के कुछ हिस्सों में स्वास्थ्य पेशेवरों को टारगेट किए जाने के मद्देनजर यह मामला काफी महत्वपूर्ण हो है.
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