बिहार जातीय गणना के हलफनामे के यू-टर्न पर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा

बिहार में पहले चरण की जातिगत गणना 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच हुई. वहीं, दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू हुई थी जिसे 15 मई तक संपन्न किया जाना था.

बिहार जातीय गणना के हलफनामे के यू-टर्न पर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा

नीतीश सरकार जातिगत गणना कराने के पक्ष में रही है

पटना :

बिहार में जातिगत गणना पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफ़नामा वापस ले लिया, इस मुद्दे पर अब विपक्ष हमलावर हो रहा है. नए हलफ़नामे में पैरा 5 के अनजाने में शामिल होने की बात कही गई है. पैरा 5 में लिखा था कि केंद्र ही जनगणना या जनगणना जैसी किसी भी कार्रवाई का हक़दार है. जातिगत गणना को लेकर बिहार सरकार और केंद्र में महीनों से ठनी हुई है. इस बीच विपक्ष ने आरोप लगाया है कि जातीय गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के हलफनामे और कुछ घंटों बाद इसमें सुधार ने "भाजपा को बेनकाब कर दिया है" और उसके "सर्वेक्षण को रोकने के इरादे" को उजागर कर दिया है. 

सोमवार को जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हलफनाम वापस लिया, वैसे ही विपक्षी दलों को एक मुद्दा मिल गया. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और उसके सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने बीजेपी पर निशाना साधा. राजद के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय जातीय गणना को रोकने के लिए हर हथकंडे अपना रहा है. उन्‍होंने कहा, "यह साबित करता है कि आबादी के इतने बड़े हिस्से को उनके अधिकारों से वंचित करना भाजपा का लक्ष्‍य  है." 

केंद्र द्वारा दायर बैक-टू-बैक हलफनामों का उल्लेख करते हुए, सांसद ने कहा, "यह अनजाने में नहीं था. यह जानबूझकर किया गया था. मैं सरकार को चेतावनी दे रहा हूं. यदि आप इस वर्ग के अधिकारों को रोकने की कोशिश करेंगे, तो आप एक ज्वालामुखी पैदा करेंगे." उन्होंने कहा, "मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आप इसे रोक नहीं सकते. यह सिर्फ आपको बेनकाब कर रहा है."

जेडीयू नेता और बिहार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एनडीटीवी से कहा कि केंद्र कह रहा है कि जनगणना कराने का अधिकार उनका है. उन्होंने कहा, "यह हास्यास्पद है. बिहार सरकार शुरू से ही यह कहती रही है कि हम जो कर रहे हैं वह जनगणना नहीं है, बल्कि एक सर्वेक्षण है. इससे केंद्र की पोल खुल गई है. यह उनकी हताशा को दर्शाता है. यहां तक ​​कि बीजेपी नेता भी भ्रमित हैं. बीजेपी ने बिहार में सर्वदलीय बैठक में सर्वेक्षण के लिए समर्थन व्यक्त किया था. अब उस पर भी सवालिया निशान लग गया है. यह कोई जनगणना नहीं है."

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने जोर देकर कहा कि बिहार पार्टी इकाई जाति सर्वेक्षण का समर्थन करती है. हलफनामा विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "गृह मंत्रालय इसे समझाने में सक्षम होगा." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र ने सर्वेक्षण को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया है. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "हमारी एक ही मांग है. अगर नीतीश कुमार सरकार ने सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, तो रिपोर्ट 24 घंटे में जारी की जानी चाहिए."

विवाद पर सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोहराया कि उनकी सरकार जनगणना नहीं, बल्कि सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने कहा, "हम विभिन्न जातियों के लोगों की संख्या नहीं गिन रहे हैं, हम उनकी आर्थिक स्थिति का ही सर्वेक्षण कर रहे हैं, ताकि हमारे पास उचित डेटा हो. हम लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण पर काम लगभग पूरा हो चुका है.

नीतीश सरकार जातिगत गणना कराने के पक्ष में रही है. बिहार में पहले चरण की जातिगत गणना 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच हुई. वहीं, दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू हुई थी जिसे 15 मई तक संपन्न किया जाना था.

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