ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री (CSEM) के मामले में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 56 ठिकानों पर सीबीआई (CBI) की छापेमारी चल रही है. इसे 'ऑपरेशन मेघचक्र' नाम दिया गया है,. सीबीआई सिंगापुर और न्यूजीलैंड की इंटरपोल (Interpol) इकाई द्वारा साझा किए गए इनपुट्स के आधार छापेमारी कर रही है. सीबीआई के मुताबिक कई ऐसे गैंग चिह्नित किये गए हैं, जो न केवल चाइल्ड सेक्सुअल प्रोनोग्राफी के संबंधित साम्रगी का व्यापार करते हैं, बल्कि बच्चों को फिजिकली ब्लैकमेल भी करते हैं. ये गैंग दोनों तरीके से काम करता है. समूह बनाकर और व्यक्तिगत तौर पर भी. आपको बता दें कि इसको लेकर पिछले साल भी ऑपरेशन चलाया गया था जिसका नाम ऑपरेशन कार्बन था.
CBI searches are underway at 56 locations in 20 states and UTs in online child sexual exploitation material (CSEM) case. The searches are based on the inputs shared by Interpol unit of New Zealand through Singapore: CBI Sources
— ANI (@ANI) September 24, 2022
देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मामला कोई नया मामला नहीं है. यह देश में लगातार चिंता का विषय रहा है. भारत में सोशल मीडिया साइट्स पर अपलोड होते चाइल्ड पोर्नोग्राफी के वीडियो और कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है.
SC सोशल मीडिया कंपनियों से मांग चुका है जवाब
इसी हफ्ते 19 सिंतबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप के वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने से रोकने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं, इसके बारे में सोशल मीडिया कंपनियों से पूछा था. साथ ही शीर्ष अदालत ने फेसबुक, ट्विटर समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कंपनियों को 6 हफ्ते में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की इन कंपनियों को ये भी बताने के लिए कहा कि उन्होंने चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप की वीडियो को अपने प्लेटफॉर्म पर अपलोड होने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं. इस मामले में सभी कंपनियां विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करेंगी.
आपको बता दें कि बीते साल नंबर में चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से जुड़े मामले में सीबीआई ने देश के 14 राज्यों में 77 ठिकानों पर रेड की थी, इसमें यूपी के जालौन, मऊ से लेकर नोएडा और गाजियाबाद जैसे बड़े शहर भी शामिल थे. इस दौरान सीबीआई ने अलग-अलग शहरों से 7 लोगों को गिरफ्तार किया था. सीबीआई की रडार पर 50 से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप थे, जिनमें 5000 से ज्यादा लोगों के नाम सामने आए थे, जो इस केस से जुड़ी सामग्री सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे. इसी कड़ी में सीबीआई ने यह छापेमारी की है.
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