सीबीआई ने पिछले साल 16 मई को जांच का जिम्मा अपने हाथों में लिया था.
नई दिल्ली:
सीबीआई ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र नजीब अहमद (Najeeb Ahmed) की तलाश बंद कर दी है. सीबीआई ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में आज क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. नजीब अहमद करीब 2 साल से रहस्यमय परिस्थितियों में अपने यूनिवर्सिटी कैंपस से लापता है. सीबीआई ने पुलिस की एक साल से अधिक की जांच के बाद पिछले साल 16 मई को जांच का जिम्मा अपने हाथों में लिया था. इससे पहले बीते 8 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में सीबीआई को 'क्लोजर रिपोर्ट ' दाखिल करने की इजाजत दे दी थी.दिल्ली हाईकोर्ट नजीब की मां फातिमा नफीस के इस आरोप से सहमत नहीं हुआ था कि सीबीआई राजनीतिक मजबूरियों के चलते क्लोजर रिपोर्ट रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने फातिमा के इस आरोप को खारिज कर दिया कि सीबीआई की जांच 'सुस्त और धीमी' थी.
पीठ ने कहा था कि अदालत इस बात से सहमत नहीं है कि सीबीआई जांच में सुस्त रही और धीमी जांच की अथवा इस मामले में उसने जरूरी कदम नहीं उठाए. अदालत ने कहा था कि मौजूदा मामले में इस अदालत ने जांच की निगरानी की, इसलिए वह याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत नहीं है कि सीबीआई ने निष्पक्षता से काम नहीं किया, या यह क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए किसी दबाव में है, या इस बारे में इसके इस फैसले की राजनीतिक मजबूरियां हैं.
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सीबीआई ने पुलिस की एक साल से अधिक की जांच के बाद पिछले साल 16 मई को जांच कार्य अपने हाथों में लिया था. सीबीआई ने कहा कि इसने मामले के हर पहलू की जांच की. उसका मानना है कि लापता छात्र के खिलाफ कोई अपराध नहीं किया गया है. नजीब, एबीवीपी से कथित रूप से जुड़े कुछ छात्रों के साथ कहासुनी के बाद अक्टूबर, 2016 को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के माही-मांडवी छात्रावास से लापता हो गया था. नजीब के लापता होने के सात महीने बीतने के बाद भी उसके अता-पता के बारे में दिल्ली पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा, जिसके बाद पिछले साल 16 मई को जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.
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फातिमा के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि 'मिनेसोटा प्रोटाकॉल' के तहत वे इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट का अवलोकन करने के हकदार हैं. पीठ ने छात्र की मां द्वारा दायर 'बंदी प्रत्यक्षीकरण' याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि मौजूदा मामले में सुनवाई के हर स्तर पर फातिमा स्थिति रिपोर्ट दाखिल किए जाने से अवगत थी. शुरू में दिल्ली पुलिस द्वारा और बाद में सीबीआई द्वारा. अदालत ने यह भी कहा था कि 'केस डायरी' का अवलोकन सिर्फ अदालत करेगी. इसका ब्योरा शिकायतकर्ता के साथ साझा करने की जरूरत नहीं है.
VIDEO: JNU छात्र नजीब अहमद केस बंद करने पर विचार?
पीठ ने कहा था कि सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर देने के बाद शिकायतकर्ता इसका विरोध करते हुए एक याचिका दायर कर सकती हैं. उन्हें क्लोजर रिपोर्ट का ब्योरा दिया जाएगा. पीठ ने अपने 34 पृष्ठों के फैसले में फातिमा का यह अनुरोध भी खारिज कर दिया कि विशेष जांच टीम (एसआईटी) को जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाए, जिसकी निगरानी उच्च न्यायालय करे और इस तरह सीबीआई को पूरे मामले से बाहर कर दिया जाए.
Delhi: Central Bureau of Investigation (CBI) files closure report in JNU student Najeeb Ahmed missing case before Patiala House Court. Court will consider the report on November 29
— ANI (@ANI) October 15, 2018
पीठ ने कहा था कि अदालत इस बात से सहमत नहीं है कि सीबीआई जांच में सुस्त रही और धीमी जांच की अथवा इस मामले में उसने जरूरी कदम नहीं उठाए. अदालत ने कहा था कि मौजूदा मामले में इस अदालत ने जांच की निगरानी की, इसलिए वह याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत नहीं है कि सीबीआई ने निष्पक्षता से काम नहीं किया, या यह क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए किसी दबाव में है, या इस बारे में इसके इस फैसले की राजनीतिक मजबूरियां हैं.
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सीबीआई ने पुलिस की एक साल से अधिक की जांच के बाद पिछले साल 16 मई को जांच कार्य अपने हाथों में लिया था. सीबीआई ने कहा कि इसने मामले के हर पहलू की जांच की. उसका मानना है कि लापता छात्र के खिलाफ कोई अपराध नहीं किया गया है. नजीब, एबीवीपी से कथित रूप से जुड़े कुछ छात्रों के साथ कहासुनी के बाद अक्टूबर, 2016 को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के माही-मांडवी छात्रावास से लापता हो गया था. नजीब के लापता होने के सात महीने बीतने के बाद भी उसके अता-पता के बारे में दिल्ली पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा, जिसके बाद पिछले साल 16 मई को जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.
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फातिमा के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि 'मिनेसोटा प्रोटाकॉल' के तहत वे इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट का अवलोकन करने के हकदार हैं. पीठ ने छात्र की मां द्वारा दायर 'बंदी प्रत्यक्षीकरण' याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि मौजूदा मामले में सुनवाई के हर स्तर पर फातिमा स्थिति रिपोर्ट दाखिल किए जाने से अवगत थी. शुरू में दिल्ली पुलिस द्वारा और बाद में सीबीआई द्वारा. अदालत ने यह भी कहा था कि 'केस डायरी' का अवलोकन सिर्फ अदालत करेगी. इसका ब्योरा शिकायतकर्ता के साथ साझा करने की जरूरत नहीं है.
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पीठ ने कहा था कि सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर देने के बाद शिकायतकर्ता इसका विरोध करते हुए एक याचिका दायर कर सकती हैं. उन्हें क्लोजर रिपोर्ट का ब्योरा दिया जाएगा. पीठ ने अपने 34 पृष्ठों के फैसले में फातिमा का यह अनुरोध भी खारिज कर दिया कि विशेष जांच टीम (एसआईटी) को जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाए, जिसकी निगरानी उच्च न्यायालय करे और इस तरह सीबीआई को पूरे मामले से बाहर कर दिया जाए.
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