सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) के प्रमुख बीवी श्रीनिवास (BV Srinivas) के खिलाफ उत्पीड़न के मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने बीवी श्रीनिवास को पार्टी से निष्कासित सदस्य की यौन उत्पीड़न की शिकायत पर असम में दर्ज एफआईआर के संबंध में अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी है. केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने असम सरकार के वकील की दलीलें सुनीं. जस्टिस गवई ने इस बीच "ईडी और सीबीआई" को लेकर चुटकी भी ली.
जब एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अपनी दलीलें शुरू कीं, तो पीठ ने उनसे पूछा कि क्या वह सीबीआई या ईडी के लिए पेश हो रहे हैं. एसवी राजू ने उत्तर दिया कि वह असम राज्य के लिए उपस्थित हो रहे हैं. इस पर जस्टिस गवई ने पूछा, "सीबीआई, ईडी अभी तक नहीं आए हैं?"
इसपर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि मामले को राजनीति से प्रेरित नहीं कहा जा सकता, क्योंकि शिकायतकर्ता उसी पार्टी का सदस्य है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत जारी नोटिस को आगे बढ़ाने में पेश नहीं हुआ. उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी नोटिस का भी जवाब नहीं दिया. राजू ने कहा, "हमने उन्हें (श्रीनिवास को) दूसरा नोटिस दिया है. उनका कहना है कि वह अस्वस्थ हैं. लगातार वह नोटिस का उल्लंघन कर रहे हैं."
जस्टिस गवई ने 23 फरवरी को गुवाहाटी एयरपोर्ट पर असम पुलिस द्वारा कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी की ओर इशारा करते हुए कहा, "यह आपकी प्रतिष्ठा के कारण हो सकता है. आपने एयरपोर्ट पर किसी को गिरफ्तार किया था." गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मामला अग्रिम जमानत के योग्य नहीं है.
वहीं, श्रीनिवास के वकील ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत हैं. इनमें से केवल एक धारा को छोड़कर बाकी में जमानत की गुंजाइश है. महिला ने दिसपुर में पुलिस में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया है कि श्रीनिवास पिछले छह महीनों से उन्हें लगातार परेशान और प्रताड़ित कर रहे थे. उनपर आपत्तिजनक कमेंट कर रहे थे. अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे. शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी गई थी.
श्रीनिवास की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता ने पार्टी में भेदभाव का सामना करने की शिकायत करते हुए कई ट्वीट किए थे. शिकायत दर्ज कराने से पहले उसने छह मीडिया इंटरव्यू भी दिए थे. उनके बयानों में यौन उत्पीड़न के आरोप नहीं थे. हालांकि, आरोप फरवरी से संबंधित हैं, लेकिन वह अप्रैल तक चुप रहीं.
आदेश लिखे जाने के बाद, एएसजी राजू ने मैरिट के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करने का अनुरोध किया (जैसे कि प्रारंभिक बयानों में यौन उत्पीड़न के आरोपों की अनुपस्थिति) और कहा कि बिना कारण बताए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की जाए. हालांकि, पीठ ने टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि ये केवल अंतरिम राहत देने के उद्देश्य से की गई हैं.
पीठ ने श्रीनिवास को 22 मई को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने और अधिकारी द्वारा निर्देश दिए जाने पर बाद की तारीखों में पेश होने को कहा है. उनसे जांच में सहयोग करने को कहा गया है. इस मामले पर अब जुलाई 2023 में विचार किया जाएगा.
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