
केंद्रीय कैबिनेट ने जैसे ही जाति जनगणना कराने का ऐलान किया वैसे ही इसका श्रेय लेने की होड़ मच गई. हर दल इसे अपनी उपलब्धि बता रहा है. बिहार में तो इसका श्रेय लेने के लिए राष्ट्रीय जनता दल और जनता यूनाइटेड दल के बीच पोस्टर वॉर तक छिड़ गया. इन पोस्टर में दोनों दलों खुद को जाति जनगणना फैसले का श्रेय दे रहा है. इस बीच बीजेपी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि राजीव गांधी ने ओबीसी समुदायों के लिए कोटा के खिलाफ आवाज उठाई थी और अपने प्रतिद्वंद्वी पर "हमारे देश के पिछड़े वर्गों के खिलाफ हमेशा" रहने का आरोप लगाया.
कांग्रेस राहुल गांधी को दे रही श्रेय
यह तब हुआ जब कांग्रेस ने दिल्ली में अपने मुख्यालय के बाहर सीनियर नेता राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए पोस्टर लगाए - जिन्होंने जाति जनगणना के महत्व और आवश्यकता के बारे में खुलकर बार-बार बात की है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस यह बताना चाहती है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर लगातार दबाव के कारण ही सरकार को जनगणना का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो स्वतंत्र भारत में पहली जातिगत जनगणना होगी.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल पिछले कई वर्षों से जाति जनगणना की मांग कर रहे कर रहे थे, उनका कहना है कि सफल कल्याणकारी नीतियों और कार्यक्रमों को बनाने के लिए जाति और उपजाति की आबादी और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में सटीक डेटा की जरूरत है. बीजेपी ने 2010 में कांग्रेस की जाति गणना करने में विफल रहने के लिए भी आलोचना की है, जब पार्टी ने केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था, जबकि उसे काफी अंतर-दलीय समर्थन प्राप्त था.
‘उन्हें बधाई दें...': कांग्रेस का कटाक्ष
एनडीटीवी से बात करते हुए, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तंज भरे लहजे में बधाई दी. उन्होंने कहा, “हमारी मांग लोगों के दिलों में गूंज उठी और मोदी सरकार यह निर्णय लेने के लिए मजबूर हो गई. मैं उन्हें ‘बधाई' देता हूं. उन्होंने हमारे सुझाव को मान लिया.” उन्होंने सर्वेक्षण से पहले सरकार से जमीनी कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा, “एक विशेषज्ञ समिति होनी चाहिए और इसकी निगरानी के लिए मंत्रियों का एक समूह होना चाहिए.”
कांग्रेस कर चुकी थी जाति जनगणना का वादा
पिछले साल रेड्डी की सरकार - जो 2023 में सत्ता में आई - बिहार के बाद जाति सर्वेक्षण कराने वाली दूसरी राज्य बन गई. कांग्रेस ने वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आई तो 2022 से हर राज्य चुनाव से पहले और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जाति सर्वेक्षण कराएगी. जाति जनगणना की घोषणा के बाद कल देर रात पत्रकारों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने BJP से तेलंगाना सर्वेक्षण में जाति से संबंधित 57 प्रश्नों का उपयोग करने का आह्वान किया.
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने भी अपनी बात रखी और मतदाताओं को याद दिलाया कि जब कांग्रेस और विपक्ष ने जाति जनगणना की मांग की थी, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन पर "समाज को बांटने" का आरोप लगाया था. खरगे ने इस लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए राहुल गांधी की भी प्रशंसा की. कांग्रेस प्रमुख ने NDTV से भी बात की और सरकार से अपनी घोषणा पर अमल करने का आह्वान करते हुए कहा, "...लेकिन सिर्फ़ कहने और चुप रहने से काम नहीं चलता. आपको बजट पेश करना होगा, पर्याप्त बजट जो आपने पेश नहीं किया."
भाजपा ने जवाबी हमला किया
कई बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस के श्रेय लेने के प्रयास पर पलटवार किया है, जिसमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और लोक जनशक्ति पार्टी के कैबिनेट सहयोगी चिराग पासवान शामिल हैं. उन्होंने कांग्रेस को याद दिलाया है कि उसके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने "मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया". प्रधान ने कहा, "यह उनके अहंकार का प्रतिबिंब है...कांग्रेस वर्षों तक सत्ता में रही, लेकिन उसने कुछ नहीं किया. कांग्रेस ओबीसी का विकास बर्दाश्त नहीं कर सकती." उन्होंने पूछा, "देश को सच्चाई पता होनी चाहिए. 1951 में (जब जाति जनगणना की मांग खारिज कर दी गई थी) सत्ता में कौन था?" उन्होंने राजीव गांधी और ओबीसी के लिए आरक्षण का भी जिक्र किया.
इस बीच, पासवान ने सभी भारतीयों को मुख्यधारा में शामिल करने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया और कहा कि जाति जनगणना का निर्णय केवल सामाजिक कल्याण के लिए लिया गया था. उन्होंने कहा, "लेकिन अगर श्रेय लेने की होड़ है, तो इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाना चाहिए." उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी जवाब दिया और कहा कि इसका श्रेय प्रधानमंत्री को जाता है. "न तो कांग्रेस, न ही सपा, न ही राजद इसका श्रेय ले सकते हैं. अगर किसी को इसका श्रेय मिलना चाहिए तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं, वे पिछड़े वर्ग से आते हैं और सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं..."
राजद, राकांपा ने अपनी बात रखी
अन्य विपक्षी दलों ने भी इस पर अपनी बात रखी है, जिसमें बिहार का राष्ट्रीय जनता दल भी शामिल है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "यह हमारे पूर्वजों, समाजवादी नेताओं और समाजवाद की जीत है. हमने इसके लिए लगातार संघर्ष किया. हमारे नेताओं ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया... चाहे सड़कों पर, विधानसभा में या अदालत में... और अब भाजपा को हमारे इशारों पर नाचने के लिए मजबूर किया जा रहा है." कांग्रेस की एक अन्य सहयोगी और पार्टी के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक की सदस्य राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने इसे विपक्षी समूह की "जीत" बताया. "विपक्ष लगातार जनगणना की मांग कर रहा था. सरकार ने आखिरकार हार मान ली. देर आए दुरुस्त आए..."
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