
विपक्ष पर समय समय पर सुर बदलने तथा केंद्रीय एजेंसियों को बेवजह निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि राजनेताओं के खिलाफ मामले 2014 में नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के सत्ता में आने से पहले भी दर्ज हुए थे. गृह मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में बुधवार को शुरू हुई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए भाजपा के डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आरोप लगाया जाता है कि केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं.
डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'विपक्षी नेताओं को आत्मावलोकन करना चाहिए क्योंकि अक्टूबर 2013 में जब (कांग्रेस नेता) सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर मामला दर्ज हुआ था और 2011 में (द्रमुक नेता) कनिमोझी और ए राजा जेल गए थे तब हमारी सरकार नहीं थी. 2010 में (पूर्व कांग्रेस सांसद) सुरेश कलमाड़ी जेल गए, 2006 में (झामुमो नेता) शिबू सोरेन जेल गए, 2008 में पूर्व कांग्रेस सांसद मधु कोड़ा जेल गए, 2004 में (सपा नेता) मुलायम सिंह यादव, (बसपा नेता) मायावती पर मामले दर्ज हुए तब भी हमारी सरकार नहीं थी. ऐसे और भी मामले हैं.'
डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया कि असम में सबसे बड़ा जनांकिकी परिवर्तन हुआ है जहां की धुबरी लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में कांग्रेस 10 लाख 12 हजार 476 वोट से जीती थी. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में बांग्लादेश के एक बड़े अखबार में कांग्रेस के एक नेता ने एक लेख में कहा था कि (नरेन्द्र) मोदी को जाना होगा. उन्होंने कहा, 'सवाल यह उठता है कि दूसरे देश के अखबार में इस तरह का लेख लिखने की जरूरत क्यों पड़ी और इसका तथा (धुबरी में) जीत से क्या संबंध है?'
भाजपा सदस्य ने कहा कि चार अगस्त 2005 को ममता बनर्जी ने इसी संसद में कहा था कि घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है और ‘मेरे पास भारत तथा बांग्लादेश दोनों की मतदाता सूची है. मैं जानना चाहती हूं कि इस बारे में क्या किया जा सकता है, इस पर संसद में चर्चा होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि आज उनके (ममता के) सुर बदल गए. उन्होंने कहा कि जब संशोधित नागरिकता अधिनियम का प्रस्ताव लाया गया तब पूरे देश में शाहीन बाग बनाने की कोशिश चल रही थी और तब तरह तरह की बातों के साथ कहा जा रहा था कि दमन कहां हो रहा है.
भाजपा नेता ने कहा कि जिन लोगों को तब दमन नहीं नजर आ रहा था उनकी आंख अब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के दमन की घटनाओं के बाद तो खुल जाना चाहिए और देश से माफी मांगना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीमा पार जाने पर ये (कांग्रेस) मानवता के खिलाफ अपराध का जिक्र अपने ट्वीट में गाजा के लिए करते हैं, बांग्लादेश के लिए नहीं. त्रिवेदी ने कहा, 'आरोप लगाया जाता है कि राज्यों में गृह मंत्रालय हस्तक्षेप करता है. लेकिन ऐसा नहीं है. राज्यों ने हस्तक्षेप किया है. नागरिकता को लेकर कानून बनाना केवल केंद्र सरकार का अधिकार है और संबंधित मंत्रालय गृह मंत्रालय है. जब सीएए को लेकर कानून बना तो अनेक राज्यों ने अपनी विधानसभा में उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किए. यह विपक्षी राज्यों का गृह मंत्रालय में हस्तक्षेप था.'
त्रिवेदी ने कहा कि हाल ही में महाकुंभ का विशाल आयोजन हुआ और इतने बड़े आयोजन में भगदड़ की घटना को छोड़ कर और कोई दुर्घटना नहीं हुई. ‘इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और गृह मंत्रालय की सजगता श्रेय एवं बधाई की हकदार है.' उन्होंने कहा, 'गंगा जल का सम्मान सिर्फ भारत में ही नहीं है. काबा में भी ‘आबे जमजम' को पवित्र माना जाता है. वहां के जल को भी पवित्र माना जाता है. वेटिकन में भी पोप सबके ऊपर पवित्र जल छिड़कते हैं. सबका सम्मान कीजिये लेकिन सनातन धर्म का अपमान मत कीजिये. ' त्रिवेदी ने कहा कि राज्यों के समन्वय का विषय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है लेकिन यह दोतरफा होता है और दोनों पर इसकी जिम्मेदारी होती है. ‘अलग अलग बातें कहने से यह समन्वय कमजोर होता है.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं