गूगल, फेसबुक और 19 अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट पर विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाने के आरोप में कानूनी कार्रवाई होगी। केंद्र सरकार ने इनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
सरकार ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि इन 21 साइट के खिलाफ कार्रवाई का उचित आधार है। इन पर विभिन्न वर्गों के बीच बैर बढ़ाने और राष्ट्रीय एकता को खतरा पैदा करने संबंधी आपत्तिजनक सामग्री डालने का आरोप है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार की अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में केन्द्र ने कहा है, ‘मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले अधिकारियों ने उनके समक्ष रखे गए सभी रिकार्ड और सामग्री को स्वयं देखा। इन सामग्रियों के आधार पर आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए, 153-बी और 295-ए के तहत मामला बनता है।’
दो पृष्ठ की यह रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखी गई। इसके बाद अदालत ने विदेश मंत्रालय को दस से अधिक विदेशी कंपनियों को समन जारी करने का निर्देश दिया। समन पिछले साल 23 दिसंबर को जारी हुए थे, पर उन्हें कंपनियों तक पहुंचाया नहीं गया।
अदालत ने 23 दिसंबर को आपराधिक साजिश, अश्लील पुस्तकों की बिक्री और युवाओं को आपत्तिजनक वस्तुएं बेचने के आरोप में 21 सोशल नेटवर्किंग साइट को समन जारी किया था।
अदालत ने कहा था कि शुरुआती प्रमाणों के आधार पर आरोपी कंपनियों के खिलाफ वर्ग वैमनस्य बढ़ाने, राष्ट्रीय एकता को क्षति पहुंचाने और लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए समन जारी करने का मामला बनता है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में 21 कंपनियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है।
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