लॉर्सन एंड टुब्रो (L&T) रक्षा क्षेत्र के लिए उत्पादन करने वाली महत्वपूर्ण कंपनी है. इस कंपनी के हेड ऑफ डिफेंस अरुण रामचंदानी का कहना है कि डिफेंस के क्षेत्र में एल एंड टी हर सेक्टर में काम कर रही है, चाहे वह नेवल सेक्टर हो, आर्मी के ग्राउंड सिस्टम्स हों या फिर एयरबेस सिस्टम्स हों. रामचंदानी ने एनडीटीवी से खास इंटरव्यू में यह बात कही.
अरुण रामचंदानी ने कहा कि, ''हाल ही में हमें दो कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं. यह दोनों एयरफोर्स के कॉन्ट्रैक्ट हैं. एक वैपन सिस्टम से जुड़ा हुआ कॉन्ट्रैक्ट है जिसमें हम एक एंटी एयरक्राफ्ट या एंटी ड्रोन सिस्टम बना रहे हैं. यह शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है. उसमें गन है, राडार हैं, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सिस्टम्स हैं. इसके अलावा हम एयरफोर्स के लिए एक हाई पॉवर राडार भी बना रहे हैं. यह लॉन्ग रेंज राडार है, जो कई टारगेटों को आईडेंटिफाई कर पाता है. इसके अलावा ग्राउंड सिस्टम में भी हम काफी कुछ कर रहे हैं. हमारे जो लैंड सिस्टम्स ग्रुप हैं वे लाइट टैंक पर काम कर रहे हैं और अन्य आर्मर्ड व्हीकल पर भी काम कर रहे हैं. हम कॉम्बेट इंजीनियरिंग सिस्टम में भी काम करते हैं और नेवल पोर्टफोलियो में वॉर शिप, सबमरीन, नेवल इक्वीपमेंट और नेवल सिस्टम्स पर काम करते हैं.''
आत्मनिर्भरता पर फोकस भारतीय उद्योगों के लिए बहुत महत्वपूर्णसरकार का जो इनीशिएटिव है उसका खास तौर पर आत्मनिर्भरता पर फोकस है. उसको आप कैसे देखते हैं? सवाल पर रामचंदानी ने कहा कि, ''यह भारतीय उद्योगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण इनीशिएटिव है. अब फोकस है कि जो भी इक्वीपमेंट सरकार खरीदे वे इंडियन इंडस्ट्री से खरीदे और इसमें भारत की क्षमता बाहर आती है और यह भारत की आत्मनिर्भरता के लिए एक बड़ा मौका है. हम इंडस्ट्री से इसका बहुत स्वागत करते हैं. इसमें हम आरएनडी में इनवेस्ट कर सकते हैं, यह उम्मीद लेकर कि भारत में जो इक्वीपमेंट खरीदा जाएगा वह इंडियन सोर्स से खरीदा जाएगा.''
एक सवाल यह भी उठता है कि जो हमारे देश की कंपनियां हैं, देश का रक्षा उद्योग है, वह क्या चुनौतियां पूरी करने में सक्षम हैं? यह पूछने पर एन एंड टी वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, ''हम सक्षम हैं. हमारे पास क्षमताएं हैं. भारतीय उद्योगों की उत्पादन क्षमता विश्व स्तरीय है. आधुनिक उत्पादन क्षमता हमारी फैक्ट्रियों में है. हमारे पास साइंटिफिक और रिसर्च मेनपॉवर भी है, लार्ज इंजीनियरिंग बेस है. इंडियन डिफेंस इकोसिस्टम में एमएसएम, बड़ी तादाद में एमएसएमई कंपनियां भी हैं. इस कारणवश हम जरूर डिफेंस इक्वीपमेंट भारत में बना पाएंगे और डिलीवर कर पाएंगे.''
वॉरफेयर टेक्नालॉजी बहुत ही जल्दी ट्रांसफार्म हो रहीयह भी कहा जाता है कि जो बाहर की कंपनियां हैं वे अप टू द मार्क हैं, तकनीक के दृष्टिकोण से बहुत बेहतर हैं. और सरकार अब देशी कंपनियों पर भरोसा जता रही है. वह कह रही है कि आप न सिर्फ फोर्सेस की जरूरतें पूरी कीजिए बल्कि एक्सपोर्ट भी कीजिए. आप इसको कैसे देखते हैं? सवाल पर रामचंदानी ने कहा कि, ''जो विश्वास सरकार का डोमेस्टिक कंपनियों पर है, जो उम्मीद है, हम वह पूरी करेंगे. हम अपनी तरफ से इनवेस्टमेंट भी कर रहे हैं अपनी क्षमता भी बढ़ा रहे हैं. हां यह जरूर है कि जो वॉरफेयर टेक्नालॉजी है, वह बहुत ही जल्दी ट्रांसफार्म हो रही है. हमें इसमें रिसर्च पर इनवेस्ट करना पड़ेगा, नई तकनीकों में इनवेस्ट करना पड़ेगा. कई जगह पार्टनरशिप भी करनी पड़ेगी. पर पहले जो लाइसेंस प्रोडक्शन होता था, आज हम यह सोच रहे हैं कि अलग देश के लोग साथ बैठकर को- डेवलप करें फ्यूचर प्रोडक्ट, जिसमें इंडिया का आईपी भी हो. इस तरीके से हमारा जो स्टेटस है वह एक लाइसेंस प्रोड्यूसर से एक सेल्फ रिलाइंट प्रोड्यूसर हो जाएगा.''
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