
- राजस्थान के भरतपुर में रजनी देवी 17 साल बाद अपने परिवार से मिली हैं. यह परिवार के लिए बेहद भावुक क्षण था.
- रजनी देवी को 2018 में बीकानेर के नारी निकेतन से भरतपुर के अपना आश्रम में लाया गया और उपचार कराया गया.
- मां से मिलने के बाद बच्चे बेहद भावुक हो गए और आश्रम की टीम की कागजी कार्यवाही के बाद अपने साथ ले गए.
एक मां के लिए अपने बच्चों से लंबे वक्त मिलना बेहद भावुक क्षण होता है, लेकिन यह इंतजार जब 17 साल लंबा हो तो ऐसी कहानियां दिल को छू जाती हैं. ऐसी ही एक कहानी भरतपुर से सामने आई है, जहां पर एक मां 17 साल बाद अपने परिवार और बच्चों से मिली. परिवार के लोगों ने तो महिला के मिलने की उम्मीद तक छोड़ दी थी और उन्हें मृत मान लिया था. हालांकि जब परिवार के लोगों ने महिला को देखा तो हर किसी की आंखों से खुशी आंसू बनकर छलक पड़ी. भरतपुर के अपना आश्रम में रहने वाली रजनी देवी मानसिक अवसाद के कारण अपने घर से निकल गई थीं. हालांकि, जब उनका स्वास्थ्य ठीक हुआ तो आश्रम की टीम को उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताया और पता भी दिया. अपना आश्रम की टीम ने उनके बताए पते के आधार पर परिवार से संपर्क किया और महिला के जीवित होने की सूचना दी.
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के गांव चितगुआ निवासी रोहित झा ने बताया कि 2008 में मानसिक अवसाद के चलते एक दिन उनकी मां रजनी देवी घर से अचानक चली गई. पिता और अन्य परिवार के लोगों ने मां की काफी तलाश की, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी. उसके बाद पुलिस में गुमशुदा की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. कई साल तलाश करने के बाद भी जब वह नहीं मिली तो हम लोगों ने उनके जिंदा होने की उम्मीद ही छोड़ दी थी और उन्हें मृत मान लिया था. उन्होंने बताया कि जब वह घर से निकली थीं तो उस समय हमारी उम्र भी तीन, पांच और सात साल थी. पिताजी ने पढ़ाया लिखाया और हमारी शादी भी कर दी. आज हमारे भी बच्चे हैं.

सात साल पहले पहुंची थी अपना आश्रम
रजनी देवी को राजस्थान के बीकानेर स्थित नारी निकेतन से 16 जून 2018 को भरतपुर के अपना आश्रम में प्रवेश दिलाया गया था. रजनी देवी का उपचार कराया गया और जब धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ तो उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताया. अपना घर आश्रम की टीम ने महिला के द्वारा बताए गए पते के आधार पर संपर्क किया. बच्चों को जब उनकी मां के जिंदा होने की बात कही तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ. फिर आश्रम की टीम ने उन्हें फोटो और वीडियो भेजे, तब जाकर कहीं बच्चों को विश्वास हुआ कि उनकी मां जिंदा है.
बेटों की खुशी का नहीं था ठिकाना
अपनी मां के जिंदा होने की खबर पता लगने पर बेटों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. जब वे मां को लेने के लिए भरतपुर आश्रम पहुंचे तो बच्चे अपनी मां को पहचान ही नहीं सकी क्योंकि जब वह घर से निकली थी तो बच्चे काफी छोटे थे और अब वह बड़े हो चुके हैं और आज उनके भी बच्चे हैं.
मां से लिपटकर के रो पड़े बच्चे
अपनी मां को देखकर के बच्चे उनसे लिपटकर रोने लगे. आसपास के जितने भी कर्मचारी और लोग थे, वह भी इस दृश्य को देखकर के अपने आंसू नहीं रोक सके. अपना घर आश्रम की टीम की ओर से कागजी कार्यवाही के बाद महिला अपने परिजनों के साथ चली गई.
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