कलकत्ता हाईकोर्ट की सर्किट पीठ ने 21 साल की महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में मंगलवार को अंडमान व निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण की जमानत अर्जी खारिज कर दी. जस्टिस बिभास रंजन डे और जस्टिस राजशेखर मंथा की पीठ ने बलात्कार पीड़िता और गिरफ्तार अधिकारी के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी.
जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस सिद्धार्थ रॉय चौधरी की खंडपीठ ने गुरुवार को नारायण की जमानत याचिका पर सुनवाई की और मामले को पोर्ट ब्लेयर की सर्किट पीठ के समक्ष भेज दिया.
नारायण को श्रम आयुक्त आर.एल. ऋषि और व्यवसायी संदीप सिंह उर्फ रिंकू के साथ गिरफ्तार किया गया था. ऋषि पर महिला के साथ बलात्कार का आरोप लगाया गया है, जबकि सिंह का नाम प्राथमिकी में अपराध में एक सहयोगी के रूप में उल्लेख किया गया है.
प्राथमिकी एक अक्टूबर को दर्ज की गई थी, उस वक्त नारायण दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में तैनात थे. सरकार ने इसके बाद 17 अक्टूबर को नारायण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.
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