संसद में बुधवार को सीएजी ने डिफेंस ऑफसेट्स के मैनजमेंट को लेकर ऑडिट रिपोर्ट पेश किया. इस रिपोर्ट में सीएजी की तरफ से डिफेंस ऑफसेट्स कमिटमेंट्स को पूरा करने में देरी और खामियों पर सवाल उठाये गए हैं. 2005 से लेकर मार्च 2018 तक देश में घरेलु डिफेंस मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 66427 करोड रुपये के 46 ऑफसेट्स कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे.जिसमें विदेशी वेंडर ने दिसम्बर 2018 तक 19223 करोड़ रुपये के ऑफसेट्स के डिस्चार्ज का पालन करना चाहिए जबकि केवल 11396 करोड़ रुपये के ऑफसेट्स का कॉन्ट्रैक्ट पूरा किया गया.
जो विदेशी वेंडरों द्वारा ऑफसेट्स क्लेम रक्षा मंत्रालय को सौपा गया उसमें से केवल 5457 करोड़ रुपये के ऑफसेट्स क्लेम को ही सही माना गया. बाकी क्लेम को ख़ारिज कर दिया गया क्योंकि ये कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों और डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर के खिलाफ था.55000 करोड़ रूपये के ऑफसेट्स कमिटमेंट्स को 2024 तक पूरा कर लिया जाना है यानी 6 सालों में.जिसे सीएजी का मानना है की बेहद चुनौतीपूर्ण है.2005 में भारत ने ऑफसेट्स पॉलिसी को लागू किया था.
जिसके तहत 300 करोड़ रुपये के अधिक से वैल्यू के डिफेंस कैपिटल खरीदारी पर जिस विदेशी कंपनी से खरीदारी की जाएगी उसे कुल खरीद के 30 फीसदी के वैल्यू के बराबर भारत में डिफेंस मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए निवेश करना होगा.
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