नई दिल्ली:
वामपंथी दलो ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह अमेरिकी दबाव में कैबिनेट फेरबदल करती है। विकीलीक्स वेबसाइट ने कहा है कि 2006 में हुए कैबिनेट फेरबदल में अमेरिका की दखलंदाज़ी की बात सामने आई है। बीजेपी ने भी यह मुद्दा उठाया है। विकीलीक्स खुलासे से संसद में हुए हंगामे के बाद सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन वेबसाइट ने जो तीखे सवाल उठाए हैं वो सरकार के गले की फांस बन सकते हैं। विकीलीक्स खुलासा के अनुसार अमेरिका के करीबी एक भारतीय मंत्री जनवरी 2006 में कैबिनेट में हुए फेरबदल के दो दिन बाद अमेरिकी राजदूत डेविड मलफोर्ड वॉशिंगटन से बातचीत में इस फैरबदल को अमेरिका के लिए अच्छी खबर बताते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 'मलफोर्ड कहते हैं अय्यर का पेट्रोलियम मंत्रालय से हटना काफी अहम है। कैबिनेट में शामिल मंत्री अमेरिका के भरोसे के लोग हैं। मलफोर्ड की नज़र में अमेरिका के लिए बढ़िया मंत्री हैं- कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, अश्विनी कुमार और सैफुद्दीन सोज़ और मुरली देवड़ा। ईरान गैस पाइप लाइन को काम को रोकने के लिए मणि शंकर अय्यर को हटाकर बनाए गए मंत्री मुरली देवड़ा से तो अमेरिका ज्यादा ही खुश है। पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि क्योंकि मुझे कभी नहीं लगा कि मैं इस मंत्रालय में स्थाई मंत्री हूं। इस मुद्दे पर शिवशंकर मेनन ने कहा, मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकार शिवशंकर मेनन इस पर नहीं बोलते लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे दिनशॉ पटेल ने तो कहा, ' आप बताइए सरकार में अमेरिका का कौन आदमी बैठा है, कोई आदमी नहीं है। वहीं वाम नेता वृंदा करात ने कहा कि लेफ्ट फ्रंट को इस सरकार को घेरने का बड़ा मौका मिला है क्योंकि वो सरकार पर हमेसा अमेरिका का पिछलग्गू होने का आरोप लगाती रही है। वह कहती हैं कि ये सरकार के लिए शमर्नाक बात है। हालांकि बीजेपी इस मामले को तूल देना नहीं चाहती, क्योंकि वो भी सरकार में रही है और उसकी सरकार पर अमेरिका का दबाव दिखा है। बीजेपी के सांसद जसवंत सिंह ने कहा कि किसी को मंत्री बनाना या न बनाना प्रधानमंत्री का अधिकार है।