मैराथन रनर बुधिया सिंह (फाइल फोटो)
मुंबई:
देश में सबसे कम उम्र के मैराथन धावक बनकर इतिहास रचने वाले और फिर गुमनामी में लगभग खो जाने वाले बुधिया सिंह को अब उम्मीद है कि उनके जीवन पर बनने वाली फिल्म उनके करियर को फिर से गति प्रदान करेगी।
बुधिया सिंह ने चार वर्ष की उम्र में भुवनेश्वर से पुरी तक की 65 किमी की दूरी सात घंटे और दो मिनट में दौड़कर तय की थी। उसे 2006 में लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस में देश के सबसे कम उम्र के मैराथन धावक के रूप में शामिल किया गया था। बुधिया के जीवन पर बन रही फिल्म का नाम ‘बुधिया सिंह- बॉर्न टू रन’ है, जिसे सौमेंद्र पाधी ने निर्देशित किया है।
बुधिया ने कहा कि वह यह जानकर बहुत खुश था कि उस पर एक फिल्म बनाई जा रही है और इसमें उसके कोच की भूमिका में मनोज बाजपेयी हैं। उसने कहा, ‘मेरी मां और बहन भी बहुत खुश हुई। निर्देशक ने मुझसे कहा था कि मेरे जीवन पर एक फिल्म बनाई जा रही है और इसमें मनोज बाजपेयाी होंगे।’ पांच वर्ष की उम्र में बुधिया ने अपने कोच बिरंची दास की मदद से 48 मैराथन में भाग लिया था। फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद बुधिया को मनोज बाजपेयी और अपने असली कोच के बीच की समानताओं का अहसास हुआ। 2008 में उसके कोच की मौत हो गई थी।
अब 14 वर्ष का बुधिया एक अच्छा कोच चाहता है जो उसे उसे सपनों को साकार करने में मदद कर सके। उसने कहा, ‘मैं बस एक अच्छा कोच और एक अच्छा प्रशिक्षण चाहता हूं। ओडिशा में कई अन्य राज्यों में बहुत सारे बच्चे दौड़ना चाहते हैं लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिलता। भगवान ने हमें यहां एक मकसद के लिए भेजा है। हर किसी में कुछ प्रतिभा होती है।’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बुधिया सिंह ने चार वर्ष की उम्र में भुवनेश्वर से पुरी तक की 65 किमी की दूरी सात घंटे और दो मिनट में दौड़कर तय की थी। उसे 2006 में लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस में देश के सबसे कम उम्र के मैराथन धावक के रूप में शामिल किया गया था। बुधिया के जीवन पर बन रही फिल्म का नाम ‘बुधिया सिंह- बॉर्न टू रन’ है, जिसे सौमेंद्र पाधी ने निर्देशित किया है।
बुधिया ने कहा कि वह यह जानकर बहुत खुश था कि उस पर एक फिल्म बनाई जा रही है और इसमें उसके कोच की भूमिका में मनोज बाजपेयी हैं। उसने कहा, ‘मेरी मां और बहन भी बहुत खुश हुई। निर्देशक ने मुझसे कहा था कि मेरे जीवन पर एक फिल्म बनाई जा रही है और इसमें मनोज बाजपेयाी होंगे।’ पांच वर्ष की उम्र में बुधिया ने अपने कोच बिरंची दास की मदद से 48 मैराथन में भाग लिया था। फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद बुधिया को मनोज बाजपेयी और अपने असली कोच के बीच की समानताओं का अहसास हुआ। 2008 में उसके कोच की मौत हो गई थी।
अब 14 वर्ष का बुधिया एक अच्छा कोच चाहता है जो उसे उसे सपनों को साकार करने में मदद कर सके। उसने कहा, ‘मैं बस एक अच्छा कोच और एक अच्छा प्रशिक्षण चाहता हूं। ओडिशा में कई अन्य राज्यों में बहुत सारे बच्चे दौड़ना चाहते हैं लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिलता। भगवान ने हमें यहां एक मकसद के लिए भेजा है। हर किसी में कुछ प्रतिभा होती है।’
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