मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में युवाओं, किसानों, महिलाओं, मिडिल क्लास और यहां तक कि MSMEs के लिए बड़े ऐलान किए गए हैं. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर कई घोषणाएं हुईं. लेकिन बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य को जगह नहीं दी. बजट में हेल्थ सेक्टर के लिए कोई बड़ा ऐलान नहीं होने से मैं हैरान हूं.
बेशक सरकार ने कैंसर की 3 अहम दवाओं पर कस्टम ड्यूटी जीरो कर दी है. अब इन दवाओं के इंपोर्ट पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा. इसकी वजह से कैंसर का इलाज सस्ता होगा. कैंसर सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. इसकी दवाएं महंगी हैं. जब आप उन पर कस्टम ड्यूटी लगा देते हैं, तो इन दवाओं की कीमत और बढ़ जाती है. इससे खास तौर पर समाज के कमजोर तबके के दवाएं और इलाज पहुंच से बाहर हो जाती हैं. जाहिर तौर पर कैंसर की 3 दवाओं पर टैक्स कम होने से जरूरतमंदों को ये दवाएं आसानी से मिल सकेंगी.
उम्मीद की जा रही थी कि सरकार हेल्थ केयर सेक्टर में काफी कुछ ऐलान करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार को हेल्थकेयर के लिए बजट का अलॉटमेंट बढ़ाना चाहिए था, ताकि पब्लिक हेल्थ सिस्टम को और ज्यादा मजबूत किया जा सके. यही नहीं, इस बजट में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए अलॉटमेंट की कमी देखी गई. इन सेक्टरों में बजट बढ़ाया जा सकता था.
बजट में एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों पर कस्टम ड्यूटी में कटौती एक पॉजिटिव कदम है. फिर भी यह मरीजों के लिए एक बहुत छोटी मदद है. क्योंकि कंप्यूटिंग जैसे प्रमुख डिवाइसेज की बढ़ती कॉस्ट के कारण हेल्थ केयर की लागत बढ़ रही है. अगर सरकार इस ओर ध्यान देती, तो शायद भविष्य के लिए हेल्थ केयर सेक्टर में कुछ अच्छा किया जा सकता.
(डॉ. नरेश त्रेहन जाने-माने कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं. वर्तमान समय में वो मेदांता हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.)
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