उत्तर प्रदेश में अहम उपचुनाव से पहले विपक्ष के दो प्रमुख नेता मायावती और अखिलेश यादव बड़े संकट में फंसते दिख रहे हैं, क्योंकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भष्टाचार के दो नए मामलों की जांच कर रही है, जो इन नेताओं के सरकार के समय हुए हैं. प्रदेश में 1,100 करोड़ रुपये के चीनी मिल घोटाले में नौकरशाहों और राजनेताओं की सांठगांठ की पोल खुल रही है. सरकारी संपत्तियों की बिक्री में बसपा सुप्रीमो मायावती के पूर्व सचिव नेतराम फंसे हैं, जबकि कई करोड़ के रेत खनन घोटाले का तार समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सहयोगी गायत्री प्रजापति और छह नौकरशाहों से जुड़ा है.
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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री प्रजापति और तीन आईएएस अधिकारियों के विभिन्न परिसरों की बुधवार को तलाशी के बाद सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि एजेंसी अखिलेश यादव से उनके कार्यकाल (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) में हुए रेत खनन घोटाले के सिलसिले में पूछताछ कर सकती है. सूत्रों ने बताया कि गायत्री प्रजापति को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किए जाने से पहले मार्च, 2012 से लेकर जुलाई, 2013 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास खनन मंत्रालय था. इस दौरान कथित तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने खनन पट्टे से जुड़ी कई फाइलों को मंजूरी दी.
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एजेंसी यह सुनिश्चित करने के लिए इन फाइलों का ऑडिट करवाएगी कि क्या मुख्यमंत्री कार्यालय ने निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किया. गायत्री प्रजापति के मामले में सीबीआई ने पाया कि अनिवार्य ई-टेंडर नियमों का पूर्ण रूप से उल्लंघन किया गया. मंत्री के रूप में प्रजापति ने कथित तौर पर अपनी पसंद के ठेकेदारों को सीधे पट्टा देना मंजूर किया था. इसके बाद प्रजापति के निर्देश पर उनके अधीनस्थों, खनन सचिव और जिलाधिकारियों ने पट्टा संबंधी फाइलों पर हस्ताक्षर किए. सूत्रों ने बताया कि हालांकि बाद में अखिलेश यादव ने प्रजापति को बर्खास्त कर दिया, लेकिन उनके द्वारा कथित तौर पर किए गए उल्लंघन को मुख्यमंत्री कार्यालय ने सीधे तौर पर नजरंदाज कर दिया.
सीबीआई अभी घोटाले के संबंध और साक्ष्य जुटा रही है और आगे मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका तय करने के लिए तीनों आईएएस अधिकारियों से पूछताछ करेगी. मायावती भी संकट में फंसती नजर आ रही हैं, क्योंकि चीनी मिल घोटाले में उनके सबसे भरोसेमंद नौकरशाह नेतराम के परिसरों की सीबीआई ने तलाशी ली है. सूत्रों ने बताया कि मायावती का भविष्य अब 21 चीनी मिलों के विनिवेश को मंजूरी देने के संबंध में नेतराम के बयानों से होने वाले खुलासे से तय होगा. सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, वर्ष 2010-11 के दौरान चीनी मिलों को औने-पौने कीमतों पर बेचा गया. मायावती वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं.
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सूत्रों ने बताया कि मायावती के मुख्यमंत्री रहते उत्तर प्रदेश में नेतराम का दबदबा था. इससे पहले कर चोरी के 100 करोड़ रुपये के संदिग्ध मामले में उनको आयकर विभाग के छापे का सामना करना पड़ा है, मायावती के एक अन्य करीबी सहयोगी विनय प्रिय दुबे की भी सीबीआई ने चीनी मिल घोटाले में तलाशी ली है. वह उस समय उत्तर प्रदेश चीनी निगम के महाप्रबंधक थे. सूत्रों ने बताया कि मायावती इससे पहले आय से अधिक धन मामले में बचने में कामयाब रही हैं, लेकिन अब उनको कठिन दौर का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि एजेंसी घोटाले में उनकी करीबियों से पूछताछ कर रही है.
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