कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड में शामिल किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व को धन्यवाद दिया और अगले साल होने वाले राज्य चुनावों में पार्टी को सत्ता में वापस लाने में मदद करने का वादा किया. बेंगलुरु में उन्होंने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने मुझे यह बड़ी जिम्मेदारी दी है. मैंने कभी किसी पद की उम्मीद नहीं की थी. मुख्यमंत्री के तौर पर अपना इस्तीफा देने के बाद, मेरा केवल एक ही संकल्प है, बीजेपी फिर से सत्ता में वापस आए.
बीएस येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह को मुझे बीजेपी संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में सेवा करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद देता हूं. पार्टी के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाले कमेटी में सेवा करना सम्मान की बात है."
I thank Prime Minister Shri @narendramodi Ji, Shri @JPNadda Ji and Shri @AmitShah Ji for giving me the opportunity to serve on @BJP4India Parliamentary Board & Central Election Committee. It is an honour to serve on the highest decision-making body of the party.
— B.S.Yediyurappa (@BSYBJP) August 17, 2022
येदियुरप्पा के कार्यालय के अनुसार, भाजपा नेता ने पीएम मोदी से फोन पर बात की और उन्हें धन्यवाद दिया और बदले में प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी को मजबूत करने और इसे न केवल कर्नाटक में बल्कि पूरे दक्षिण में सत्ता में लाने के लिए उनकी सेवा की आवश्यकता है.
येदियुरप्पा को पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई में शामिल किया जाने को एक तरह की उनकी राजनीतिक वापसी के रूप में देखा जा रहा है, इसे पार्टी द्वारा यह संदेश देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है कि वह अभी भी अनुभवी नेता का सम्मान करती है. ऐसा लग रहा है कि भाजपा उनके अनुभव और परामर्श का इस्तेमाल करना चाहची है. कुछ वर्गों, विशेष रूप से विपक्षी कांग्रेस के आरोपों के बाद लिंगायत नेता को अगले साल होने वाले राज्य चुनावों से पहले सीएम पद से हटा दिया गया था.
पार्टी नेतृत्व के इस कदम को और भी अधिक महत्व मिलता है, क्योंकि यह येदियुरप्पा ने हाल ही में चुनावी राजनीति में अपनी पारी के अंत का संकेत देते हुए कहा था कि वह अपने बेटे बीवाई विजयेंद्र के लिए अपनी शिकारीपुरा विधानसभा सीट खाली कर देंगे.
चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस महीने की शुरुआत में राज्य के दौरे के दौरान येदियुरप्पा से मुलाकात की थी और कहा जाता है कि उन्होंने अपने भविष्य के बारे में चर्चा की थी.
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता था कि येदियुरप्पा खुद को दरकिनार महसूस न करें, क्योंकि अगर पार्टी के अनुभवी नेता सक्रिय नहीं रहते हैं तो चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है.
संसदीय समिति में शामिल किया जाना येदियुरप्पा को एक बढ़त भी देता है, क्योंकि वह अपने छोटे बेटे विजयेंद्र के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करना चाहते हैं, जो उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं. बड़े बेटे बीवाई राघवेंद्र शिवमोग्गा से सांसद हैं.
भाजपा के एक पदाधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया "यह निश्चित रूप से येदियुरप्पा के लिए एक उत्थान है, जब हर कोई उनकी राजनीति के अंत की उम्मीद कर रहा था. पार्टी निश्चित रूप से उनकी आवश्यकता और ताकत को महसूस करती है और इसका उपयोग करना चाहती है. नेतृत्व उन्हें सक्रिय रखना चाहता है और विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में उनके अनुभव का अधिक से अधिक लाभ लेना चाहता है."
भाजपा के एक नेता ने कहा कि येदियुरप्पा को भाजपा द्वारा दरकिनार किए जाने का अनुमान लगाकर, कांग्रेस ने लिंगायतों के वोटों को अपने पक्ष में आकर्षित करने की योजना बनाई थी, जो कि राज्य में पार्टी का मजबूत वोट आधार है. उन्होंने कहा, "अब येदियुरप्पा को पार्टी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकायों में शामिल करके, अब इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया है."
हालांकि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी एक लिंगायत हैं, लेकिन येदियुरप्पा का समुदाय पर जो दबदबा है, उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. एक नेता ने कहा, "वह अभी भी न केवल समुदाय से सबसे बड़े नेता हैं, बल्कि वह एक जननेता भी हैं."
भाजपा ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने संसदीय बोर्ड, अपने शीर्ष संगठनात्मक निकाय से हटा दिया और येदियुरप्पा और सिख प्रतिनिधि इकबाल सिंह लालपुरा सहित छह नए सदस्यों को शामिल किया है.
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