ब्रिक्स सम्मेलन ने 100 अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी के साथ नए 'ब्रिक्स विकास बैंक' की स्थापना का फैसला किया, जिसे भारत के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। हालांकि, चीन ने बैंक का मुख्यालय शंघाई में बनाए जाने की दौड़ जीत ली, जबकि भारत ने भी नई दिल्ली में इसे बनाना चाहा था। बैंक का पहला अध्यक्ष भारत से होगा, जबकि संचालन मंडल बोर्ड का प्रथम अध्यक्ष रूस से होगा।
बैंक की इस पूंजी के लिए शुरुआती अंशदान में संस्थापक सदस्यों की बराबर भागीदारी होगी। दरअसल, भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि इस पर किसी भी सदस्य देश का वर्चस्व नहीं हो। पांच राष्ट्रों की सदस्यता वाले समूह की शिखर बैठक में बैंक और 100 अरब डॉलर के शुरुआती आकार के साथ एक ‘कंटींजेंसी रिजर्व अरेंजमेंट’ स्थापित करने का समझौता हुआ। बैंक की शुरुआती अधिकृत पूंजी 100 अरब डॉलर होगी। शुरुआती अंशदान पूंजी 50 अरब डॉलर की होगी जो संस्थापक सदस्य बराबर बराबर साझा करेंगे।
नए विकास बैंक का अफ्रीकी क्षेत्रीय केंद्र दक्षिण अफ्रीका में होगा। सम्मेलन में स्वीकार किए गए फोर्तालेजा घोषणापत्र में नेताओं ने कहा, 'हम अपने वित्त मंत्रियों को निर्देश देते हैं कि वे इसके संचालन के लिए तौर तरीकों पर काम करें।' शुरुआती अंशधारिता पूंजी की समान साझेदारी पर भारत का जोर इस बात को लेकर रहा है कि ब्रिक्स बैंक भी अमेरिका के आधिपत्य वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक सरीखे ब्रेटन वुड्स संस्थानों का रूप नहीं ले।
बैंक और सीआरए की स्थापना की सराहना करते हुए मोदी ने पूर्ण सत्र में कहा कि बैंक से अब न सिर्फ सदस्य राष्ट्रों को फायदा होगा, बल्कि विकासशील विश्व को भी फायदा होगा। बड़ी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अस्थिरता के परिप्रेक्ष्य में आर्थिक स्थिरता को सुरक्षित रखने में ये दोनों संस्थान अब नए माध्यम होंगे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और वित्तीय संस्थानों में सुधारों की बड़ी जरूरत है, ताकि जमीनी सचाई जाहिर हो सके तथा एक नया वित्तीय ढांचा तैयार हो सके।
इस बैठक के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक नेताओं के साथ अपनी प्रथम बहुपक्षीय वार्ता की शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा और ब्राजील की राष्ट्रपति दिल्मा रोसेफ भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंची हैं।
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