बालेश्वर:
ओडिशा के चांदीपुर स्थित परीक्षण स्थल से भारत ने आज ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। सेना के उपयोग से पहले प्रायोगिक तौर पर इसका परीक्षण किया गया है।
रक्षा अधिकारी ने कहा, ‘‘मिसाइल का परीक्षण 11.22 मिनट पर परीक्षण परिसर-3 से ग्राउंड मोबाइल लांचर के जरिए किया गया। परीक्षण सफल रहा।’’ 290 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाला ब्रह्मोस 200 से 300 किलो परंपरागत विस्फोटक ले जाने में सक्षम है।
अधिकारी ने कहा कि सतह से सतह पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल का परीक्षण सेना के उपयोग से पहले के परीक्षण का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मिसाइल को पहले ही सेना और नौसना में शामिल कर लिया गया है।
ब्रह्मोस के पहले संस्करण को भारतीय नौसेना में 2005 में आईएनएस राजपूत के साथ शामिल किया गया। यह अब सेना के दो रेजिमेंट में पूरी तरह परिचालन में है। इसके हवाई और पनडुब्बी से छोड़े जाने वाले संस्करण पर काम जारी है। सेना ने अब तक तीन रेजिमेंट में तैनात किए जाने के लिए ब्रह्मोस का ऑर्डर दिया है और इनमें से दो में पहले ही इसे शामिल किया जा चुका है। रक्षा मंत्रालय ने भी सेना को तीसरे रेजिमेंट में इस मिसाइल को शामिल किए जाने को मंजूरी दे दी है। इसकी तैनाती चीन सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश में की जाएगी।
भारत-रूस की संयुक्त उद्यम कंपनी ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ हवाई और पनडुब्बी संस्करण पर काम कर रही है और परियोजना पर काम जारी है। संयुक्त उद्यम कंपनी के मुखिया देश के प्रमुख रक्षा वैज्ञानिक हैं।
रक्षा अधिकारी ने कहा, ‘‘मिसाइल का परीक्षण 11.22 मिनट पर परीक्षण परिसर-3 से ग्राउंड मोबाइल लांचर के जरिए किया गया। परीक्षण सफल रहा।’’ 290 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाला ब्रह्मोस 200 से 300 किलो परंपरागत विस्फोटक ले जाने में सक्षम है।
अधिकारी ने कहा कि सतह से सतह पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल का परीक्षण सेना के उपयोग से पहले के परीक्षण का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मिसाइल को पहले ही सेना और नौसना में शामिल कर लिया गया है।
ब्रह्मोस के पहले संस्करण को भारतीय नौसेना में 2005 में आईएनएस राजपूत के साथ शामिल किया गया। यह अब सेना के दो रेजिमेंट में पूरी तरह परिचालन में है। इसके हवाई और पनडुब्बी से छोड़े जाने वाले संस्करण पर काम जारी है। सेना ने अब तक तीन रेजिमेंट में तैनात किए जाने के लिए ब्रह्मोस का ऑर्डर दिया है और इनमें से दो में पहले ही इसे शामिल किया जा चुका है। रक्षा मंत्रालय ने भी सेना को तीसरे रेजिमेंट में इस मिसाइल को शामिल किए जाने को मंजूरी दे दी है। इसकी तैनाती चीन सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश में की जाएगी।
भारत-रूस की संयुक्त उद्यम कंपनी ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ हवाई और पनडुब्बी संस्करण पर काम कर रही है और परियोजना पर काम जारी है। संयुक्त उद्यम कंपनी के मुखिया देश के प्रमुख रक्षा वैज्ञानिक हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं