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This Article is From May 23, 2022

'अपनी-अपनी निजी पसंद का मामला' : हिजाब विवाद पर बॉक्सिंग चैंपियन निकहत जरीन

कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हेडस्कार्फ़ को लेकर पिछले साल के अंत में कर्नाटक में तब विवाद छिड़ गया जब कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने लड़कियों के हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने पर आपत्ति जताई

'अपनी-अपनी निजी पसंद का मामला' : हिजाब विवाद पर बॉक्सिंग चैंपियन निकहत जरीन
निकहत जरीन ने हिजाब विवाद को लेकर सवाल पर अपनी पसंद बताई.
नई दिल्ली:

बॉक्सिंग विश्व चैंपियन निकहत जरीन ने सोमवार को स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर सुलगते विवाद पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी की पोशाक पूरी तरह से उसकी पसंद का विषय है. उन्होंने एक साक्षात्कार में एनडीटीवी से कहा कि "यह पूरी तरह से उनकी अपनी पसंद है. मैं उनकी पसंद पर टिप्पणी नहीं कर सकती. मेरी अपनी पसंद है. मुझे ऐसे कपड़े पहनना पसंद हैं. मुझे ऐसे कपड़े पहनने से कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरे परिवार को मेरे ऐसे कपड़े पहनने से कोई फर्क नहीं पड़ता. इसलिए, मुझे परवाह नहीं है कि लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं." 

निकहत जरीन ने कहा, "लेकिन अगर वे हिजाब पहनना चाहती हैं और अपने धर्म का पालन करना चाहती हैं, तो यह उनकी निजी पसंद है. मुझे उनके हिजाब पहनने से कोई समस्या नहीं है. आखिरकार यह उनकी अपनी पसंद है. मैं इसके साथ ठीक हूं."

कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हेडस्कार्फ़ को लेकर पिछले साल के अंत में कर्नाटक में तब विवाद छिड़ गया जब कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने लड़कियों के हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने पर आपत्ति जताई थी.

कर्नाटक सरकार द्वारा "समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले" कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने के बाद यह विवाद पूरे राज्य और उसके बाहर तक फैल गया. यहां तक कि कानूनी गतिरोध में बदल गया.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मार्च में प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है जिसे धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत संरक्षित किया जा सकता है. इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

हलाल मांस पर विवाद और हिंदू मंदिरों के बाहर मुस्लिम विक्रेताओं के विरोध के साथ, हिजाब विवाद उन टकरावों की एक श्रृंखला में से एक था जो पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी शासित कर्नाटक में देखने को मिले थे.

हाल के महीनों में सांप्रदायिक विवादों और झड़पों की संख्या बढ़ी है और इसके साथ-साथ खुले तौर पर नफरत फैलाने वाले सार्वजनिक आयोजन हुए हैं. इसको लेकर विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष की आलोचना की गई है. आरोप है कि सत्ता पक्ष चुनावी लाभ के लिए धार्मिक कलह पैदा करने के प्रयास कर रहा है.

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