झामुमो की तीन बार की विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन के अपने पति के निधन के बाद “अलगाव और उपेक्षा” का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के एक दिन बाद, कल्पना सोरेन ‘एक्स' पर लिखा, “झुकना झारखंड के लोगों के डीएनए में नहीं है”.
स्पष्ट तौर पर उन पर कटाक्ष करते हुए जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, “झारखंडी के डीएनए में नहीं है झुक जाना.”
हेमन्त जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा, सिर्फ बड़े भाई नहीं बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) March 20, 2024
2006 में ब्याह के उपरांत इस बलिदानी परिवार का हिस्सा बनने के बाद मैंने हेमन्त जी का अपने बड़े भाई के प्रति आदर तथा समर्पण और स्वर्गीय दुर्गा दा का हेमन्त जी के प्रति प्यार देखा।… pic.twitter.com/MHdyNaf3xU
ऐसी अटकलें हैं कि कल्पना गांडेय सीट पर होने वाला उपचुनाव लड़ सकती हैं. यह सीट 31 दिसंबर को तत्कालीन झामुमो विधायक सरफराज अहमद के अचानक इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी, जो बाद में 14 मार्च को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए थे.
उनकी पोस्ट में हेमंत सोरेन के मन में अपने दिवंगत भाई दुर्गा के प्रति गहरे सम्मान को रेखांकित किया गया है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि झामुमो की विरासत और संघर्ष को बनाए रखने के लिए दुर्गा सोरेन के निधन के बाद हेमंत ने अनिच्छा से राजनीति में प्रवेश किया.
उन्होंने कहा, “हेमंत जी राजनीति में शामिल होना नहीं चाहते थे, लेकिन दुर्गा दादा के असामयिक निधन और बाबा के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें राजनीति में आना पड़ा. हेमंत जी ने राजनीति को नहीं, बल्कि राजनीति ने हेमंत जी को चुना है. जिन्होंने पहले आर्किटेक्ट बनने का फैसला किया था, उन पर झामुमो की विरासत और संघर्ष को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी.”
उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवादी और वामपंथी विचारधारा के मिश्रण से हुआ है. कल्पना ने कहा कि झामुमो आज झारखंड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों सहित गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बनकर आगे बढ़ रहा है. कल्पना ने कहा, “जिन पूंजीपतियों और सामंतवादियों के खिलाफ बाबा और दिवंगत दुर्गा दा लड़ रहे थे उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए हेमंत जी जेल गए. वे झुके नहीं. उन्होंने (हेमंत) एक झारखंडी की तरह संघर्ष का रास्ता चुना. वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर आगे बढ़ना नहीं सीखा...सच तो सतत संघर्ष है.”
जामा से विधायक ने उन लोगों को शामिल करके पार्टी के मूल मूल्यों से विचलन का भी आरोप लगाया जिनके सिद्धांतों का पार्टी के विचारों से तालमेल नहीं है.
सीता ने कहा था, “हम सब को साथ रखने के लिए मेहनत करने वाले श्री शिबू सोरेन के अथक प्रयास दुर्भाग्य से विफल रहे. मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ रची जा रही साजिश का मुझे पता चल गया है. मेरे पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.”
सीता सोरेन का भाजपा में शामिल होने का निर्णय झामुमो का मुख्य वोट आधार रहे अनुसूचित जनजाति के साथ उसके संबंध को बढ़ावा देने के पार्टी के प्रयासों के लिए एक झटका है. भाजपा ने कहा था, “सीता को रावण की लंका से मुक्त कराया गया है.”
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं