पुलिस की गिरफ्त में सब इस्पेक्टर के कथित हत्यारे
बेंगलुरु:
हरीश बाबू और मधु कृष्णा की महाराष्ट्र के नागपुर से गिरफ्तारी बड़े ही नाटकीय ढंग से हुई। आंध्रा के सिकंदराबाद से नागपुर जा रही ट्रेन जैसे ही नागपुर प्लेटफॉर्म पर पहुंची, इसके जनरल कंपार्टमेंट्स के सभी दरवाजों को सादे लिबास में मौजूद रेलवे सुरक्षा बल और नागपुर क्राइम ब्रांच के जवानों ने जाम कर दिया ताकि कोई बाहर न निकल सके।
फिर एंटी टेरर सेल के कमांडोज़ ने तस्वीर के आधार पर मुसाफिरों को चेक करना शुरू किया तो हरीश बाबू और मधु कृष्णा तक पहुंचने में ज़यादा देर नहीं लगी। चूंकि दोनों चाकूबाजी में माहिर थे, इसलिए कमांडोज़ ने मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार थे। पिछले शुक्रवार को बेंगलुरू के नज़दीक नेलमंगला में सब इंस्पेक्टर जगदीश की चाकू मारकर हत्या करने से पहले भी इन दोनों ने एक दूसरे सब इंस्पेक्टर को भी चाकू से घायल कर दिया था।
नागपुर में इनकी मौजूदगी का पता कैसे चला?
आंध्र प्रदेश के सिकंदराबाद में दोनों बदमाशों के होने की पुख्ता खबर कर्नाटक पुलिस को इंटेलिजेंस के ज़रीए मिली। इन दोनों का एक नज़दीकी सहयोगी कृष्णप्पा बेंगलुरू के केंद्रीय जेल में बंद है। पुलिस सब इंस्पेक्टर जगदीश की हत्या के बाद दोनों आंध्र प्रदेश के कुर्नूल पहुंचे। वहां से इन दोनों ने कृष्णप्पा की मदद लेनी चाही छुपने की जगह के लिए और इसलिए कृष्णप्पा के एक दोस्त को कॉल किया। जेल में बंद कृष्णप्पा पर पुलिस नज़र रखे हुए थी। कृष्णप्पा से मिलकर उसका दोस्त जैसे ही जेल से बाहर आया, पुलिस के हात्थे चढ़ गया और फिर दोनों फरार शातिर मुजरिमों की गतिविधयां पुलिस के रडार पर आ गयीं। इसी बीच हनुमंथराम नाम के एक और अपराधी की शिनाख्त हुई। वो भी हरीश और मधु के लगातार सम्पर्क में था।
पुलिस और दोनों शातिर अपराधियों के बीच आंख मिचौली
इन दोनों का इरादा दिल्ली में छुपने का था और वो किसी तरह दक्षिण भारत से दूर जाने को उतावले थे। लेकिन दोनों इतने शातिर थे कि भले ही कृष्णप्पा और हनुमंथराम उसकी मदद कर रहे थे फिर भी उनको इनपर पूरा भरोसा नहीं था और इसलिए वो अपनी योजना लगातार बदलते रहते। और इस वजह से पुलिस जितना आगे बढ़ती उतना ही फिर उसे पीछे हटना पड़ता। कुर्नूल से ये दोनों महबूब नगर पहुंचे। फिर कुछ रुपये के इंतज़ाम के लिए चित्रदुर्ग जाना था लेकिन चित्रदुर्ग की जगह ये दोनों सिकंरदाबाद पहुंच गए। यानी ये दोनों कोई जोखिम उठाना नहीं चाहते थे। अचानक दोनों ने फैसला किया कि उन्हें फ़ौरन दक्षिण से दूर जाना चाहिए।
नागपुर कि ट्रेन में सवार होकर वो नागपुर और फिर वहां से दिल्ली जाने की फ़िराक में थे। लेकिन सिम बदलने के बावजूद इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की वजह से इन दोनों की गतिविधि पुलिस को तबतक मिलती रहती जबतक इनका मोबाइल ऑन रहता। पुलिस को जैसे ही पता चला कि ये दोनों ट्रेन से नागपुर जा रहे हैं, फौरन नागपुर पुलिस से संपर्क किया गया। नागपुर पुलिस ने एंटी टेरर सेल, क्राइम ब्रांच और रेलवे पुलिस की तीन विशेष टीमें तैयार कीं जिसने हरीश बाबू और मधु कृष्णा को गिरफ्तार किया। नागपुर और कर्नाटक पुलिस की जिस टीम ने पुलिस सब इंस्पेक्टर के हत्यारों को गिरफ्तार किया है उसको पांच पांच लाख रुपये का इनाम कर्नाटक सरकार देगी। दोनों को कोर्ट की कार्रवाई पूरी होने के बाद बेंगलुरु लाया जा रहा है। बुधवार को जुरिडिक्शनल कोर्ट में इनकी पेशी होगी और फिर पुलिस इन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
फिर एंटी टेरर सेल के कमांडोज़ ने तस्वीर के आधार पर मुसाफिरों को चेक करना शुरू किया तो हरीश बाबू और मधु कृष्णा तक पहुंचने में ज़यादा देर नहीं लगी। चूंकि दोनों चाकूबाजी में माहिर थे, इसलिए कमांडोज़ ने मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार थे। पिछले शुक्रवार को बेंगलुरू के नज़दीक नेलमंगला में सब इंस्पेक्टर जगदीश की चाकू मारकर हत्या करने से पहले भी इन दोनों ने एक दूसरे सब इंस्पेक्टर को भी चाकू से घायल कर दिया था।
नागपुर में इनकी मौजूदगी का पता कैसे चला?
आंध्र प्रदेश के सिकंदराबाद में दोनों बदमाशों के होने की पुख्ता खबर कर्नाटक पुलिस को इंटेलिजेंस के ज़रीए मिली। इन दोनों का एक नज़दीकी सहयोगी कृष्णप्पा बेंगलुरू के केंद्रीय जेल में बंद है। पुलिस सब इंस्पेक्टर जगदीश की हत्या के बाद दोनों आंध्र प्रदेश के कुर्नूल पहुंचे। वहां से इन दोनों ने कृष्णप्पा की मदद लेनी चाही छुपने की जगह के लिए और इसलिए कृष्णप्पा के एक दोस्त को कॉल किया। जेल में बंद कृष्णप्पा पर पुलिस नज़र रखे हुए थी। कृष्णप्पा से मिलकर उसका दोस्त जैसे ही जेल से बाहर आया, पुलिस के हात्थे चढ़ गया और फिर दोनों फरार शातिर मुजरिमों की गतिविधयां पुलिस के रडार पर आ गयीं। इसी बीच हनुमंथराम नाम के एक और अपराधी की शिनाख्त हुई। वो भी हरीश और मधु के लगातार सम्पर्क में था।
पुलिस और दोनों शातिर अपराधियों के बीच आंख मिचौली
इन दोनों का इरादा दिल्ली में छुपने का था और वो किसी तरह दक्षिण भारत से दूर जाने को उतावले थे। लेकिन दोनों इतने शातिर थे कि भले ही कृष्णप्पा और हनुमंथराम उसकी मदद कर रहे थे फिर भी उनको इनपर पूरा भरोसा नहीं था और इसलिए वो अपनी योजना लगातार बदलते रहते। और इस वजह से पुलिस जितना आगे बढ़ती उतना ही फिर उसे पीछे हटना पड़ता। कुर्नूल से ये दोनों महबूब नगर पहुंचे। फिर कुछ रुपये के इंतज़ाम के लिए चित्रदुर्ग जाना था लेकिन चित्रदुर्ग की जगह ये दोनों सिकंरदाबाद पहुंच गए। यानी ये दोनों कोई जोखिम उठाना नहीं चाहते थे। अचानक दोनों ने फैसला किया कि उन्हें फ़ौरन दक्षिण से दूर जाना चाहिए।
नागपुर कि ट्रेन में सवार होकर वो नागपुर और फिर वहां से दिल्ली जाने की फ़िराक में थे। लेकिन सिम बदलने के बावजूद इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की वजह से इन दोनों की गतिविधि पुलिस को तबतक मिलती रहती जबतक इनका मोबाइल ऑन रहता। पुलिस को जैसे ही पता चला कि ये दोनों ट्रेन से नागपुर जा रहे हैं, फौरन नागपुर पुलिस से संपर्क किया गया। नागपुर पुलिस ने एंटी टेरर सेल, क्राइम ब्रांच और रेलवे पुलिस की तीन विशेष टीमें तैयार कीं जिसने हरीश बाबू और मधु कृष्णा को गिरफ्तार किया। नागपुर और कर्नाटक पुलिस की जिस टीम ने पुलिस सब इंस्पेक्टर के हत्यारों को गिरफ्तार किया है उसको पांच पांच लाख रुपये का इनाम कर्नाटक सरकार देगी। दोनों को कोर्ट की कार्रवाई पूरी होने के बाद बेंगलुरु लाया जा रहा है। बुधवार को जुरिडिक्शनल कोर्ट में इनकी पेशी होगी और फिर पुलिस इन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
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