केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार को कहा कि मेघालय (Meghalaya) के साथ असम की सीमा संबंधी ‘‘60 प्रतिशत'' समस्याओं का सौहार्दपूर्ण ढंग से हल होने के बाद, अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और असम के बीच विवाद इस साल तक सुलझाए जाने की उम्मीद है. शाह ने तिरप जिले के नरोत्तम नगर में रामकृष्ण मिशन स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश और असम की सरकारें अंतर-राज्यीय सीमा विवाद के सौहार्दपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए काम कर रही हैं.
अरुणाचल प्रदेश को असम से अलग करके बनाया गया था और शुरू में यह एक केंद्र शासित प्रदेश था. यह 1987 में एक पूर्ण राज्य बन गया. दोनों राज्य 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. उत्तर-पूर्वी राज्यों के पुनर्गठन के दौरान उत्पन्न हुआ सीमा मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में लंबित है.शाह शनिवार से अरुणाचल प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर हैं. उन्होंने कहा, ‘‘असम और मेघालय के बीच लगभग 60 प्रतिशत सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है और मुझे विश्वास है कि अरुणाचल और असम के बीच विवाद 2023 से पहले सुलझा लिया जाएगा.''
असम और मेघालय ने मार्च में अपने पांच दशक पुराने सीमा विवाद को 12 स्थानों में से छह में समाप्त करने का फैसला किया, जो अक्सर दोनों राज्यों के बीच तनाव पैदा करते थे. शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त बनाने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने दावा किया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले आठ वर्षों के दौरान क्षेत्र के 9,000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र क्षेत्र में शांति और विकास लाने के लिए प्रतिबद्ध है. पूर्वोत्तर के युवा अब बंदूकें और पेट्रोल बम नहीं रखते हैं. वे अब लैपटॉप रखते हैं और स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं. यह विकास का वह मार्ग है जिसकी परिकल्पना केंद्र ने क्षेत्र के लिए की है.''
उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर, जिसे पहले साल में 200 से अधिक दिनों के लिए बंद और नाकाबंदी के लिए जाना जाता था, वह अब राज्य में पिछले पांच वर्षों के भाजपा शासन के दौरान बिना किसी बंद के बदलाव की बयार देख रहा है.'' शाह ने कहा कि असम के बोडोलैंड क्षेत्र में उग्रवाद को बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के माध्यम से सुलझाया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा में उग्रवादी समूहों का आत्मसमर्पण और ब्रू शरणार्थी मुद्दे का समाधान मोदी सरकार द्वारा शुरू किया गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम के कार्बी आंगलोंग (जिले) में शांति लाने के लिए पहल की है.''केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के विकास के लिए त्रिस्तरीय एजेंडा तैयार किया गया है. उन्होंने कहा,‘‘हमारा पहला उद्देश्य न केवल पूर्वोत्तर की बोलियों, भाषाओं, पारंपरिक नृत्य, संगीत और भोजन को बचाना है, बल्कि उन्हें समृद्ध करना और उन्हें राष्ट्र का गौरव बनाना है.''
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा उद्देश्य सभी विवादों को समाप्त करना है, क्षेत्र के युवाओं को एक मंच प्रदान करना है जिसके माध्यम से वे दुनिया के युवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस तरह के विवाद मुक्त, शांतिपूर्ण, उग्रवादी मुक्त, हथियार- मुक्त उत्तर पूर्व बनायें.'' उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा लक्ष्य क्षेत्र के सभी आठ राज्यों को देश के सबसे विकसित राज्यों की सूची में शीर्ष स्थान पर ले जाना है.''
शाह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वतंत्रता के 75 साल के अवसर पर पेश किया जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ-साथ मानवीय मूल्यों और शिक्षा पर आधारित है. उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 में स्वामी विवेकानंद की टिप्पणियों को शामिल किया गया है, जिन्होंने 125 साल पहले रामकृष्ण मिशन (आरकेएम) की स्थापना की थी. उन्होंने शिक्षा पर स्वामी विवेकानंद के दर्शन का हवाला देते हुए कहा कि यह लोगों को बुद्धिमान बनाने, लोगों की आंतरिक शक्ति को बाहर लाने और उसे एक दिशा देने का माध्यम है.
21वीं सदी को 'ज्ञान की सदी' करार देते हुए शाह ने कहा कि देश के युवाओं को दुनिया भर के युवाओं के बराबर खड़ा करने के लिए सक्षम बनाने के प्रयास जारी हैं. आरकेएम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अपने अस्पतालों में मरीजों का इलाज करके और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके, इसने अनुकरणीय प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है जिसके लिए देश इसे सलाम करता है.''
शाह ने कहा कि किसी भी शिष्य ने अपने गुरु को इतनी बड़ी 'गुरु दक्षिणा' नहीं दी होगी, जो स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस को आरकेएम की स्थापना करके दी थी. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के लोगों के शिक्षा क्षेत्र और सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन में आरकेएम के योगदान की भी प्रशंसा की.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के अलावा देश में शायद और कोई जगह नहीं है जहां लोग एक-दूसरे को 'नमस्ते' के बजाय 'जय हिंद' कहकर अभिवादन करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के लोगों में देशभक्ति की भावना जगाने का श्रेय राम कृष्ण मिशन को जाता है.''शाह ने कहा कि मंदिर बनाना एक नेक काम है, लेकिन स्कूल स्थापित करना और लोगों को ज्ञान देना अधिक मूल्यवान है. उन्होंने कहा, ‘‘बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा अच्छी सड़क, हवाई और ट्रेन सम्पर्क के साथ, मोदी ने पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ा है.''
केंद्रीय गृह मंत्री ने दावा किया कि मोदी आठ साल में 50 से अधिक बार पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों का दौरा कर चुके हैं, जो किसी अन्य प्रधानमंत्री ने नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘‘पूरा देश पूर्वोत्तर और उसके सभी राज्यों से प्यार करता है और पूर्वोत्तर भी आज गर्व से कह रहा है कि हम भारत के महान राष्ट्र का हिस्सा हैं. यह एक बड़ा कदम है.''
शाह ने नये छात्रावास भवन और प्रशासनिक ब्लॉक का उद्घाटन करने के अलावा आरकेएम स्कूल परिसर में स्वामी विवेकानंद की एक प्रतिमा का भी अनावरण किया. बाद में शाम को गृह मंत्री लोहित जिले के वाक्रो पहुंचे और केंद्र की पीआरएएसएचएडी योजना के तहत प्रसिद्ध तीर्थस्थल परशुराम कुंड में ऋषि परशुराम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा की आधारशिला रखी. मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हर साल लगभग 70,000 श्रद्धालु इस कुंड में पवित्र डुबकी लगाते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)