मुंबई की 337 जर्जर इमारतों के लोग घर छोड़ने को राजी नहीं, सरकार से मांगा नया आशियाना

मुंम्बई (Mumbai) में बीएमसी (BMC) ने पूरे शहर में मानसून से पहले उन जर्जर इमारतों की पहचान कर नोटिस दिया है  जिनकी हालत खस्ता है.

मुंबई :

मुंम्बई (Mumbai) में बीएमसी (BMC) ने पूरे शहर में मानसून से पहले उन जर्जर इमारतों की पहचान कर नोटिस दिया है  जिनकी हालत खस्ता है. बता दें, इस साल मानसून से पहले किए गए एक सर्वेक्षण में पूरे मुंबई में 337 जर्जर इमारतों (Dilapidated Buildings) की पहचान की गई है. गौरतलब है कि मुंबई के भायखला में स्थित 99 साल पुरानी लंबी सीमेंट चौल को बीएमसी ने लोगों के रहने के लिए ख़तरनाक घोषित किया है. यहां 150 परिवार बस्ते थे. नोटिस मिलने के बाद भी 35 परिवार यहीं रह रहे हैं. जिनमें कई एसे है जो बिस्तर से भी नही उठ सकते और चल भी नही सकते है. उनका कहना है कि हम जाएँ तो जाएँ कहाँ? कोविड महामारी और और बढ़ती महंगाई के बीच  ये परिवार क़ानूनी सहारा लेने को मजबूर हैं.

ये लोग घर छोड़ने को राज़ी नहीं. इनका कहना है कि बीएमसी पहले रहने का सही इंतज़ाम करे, सही किराया दे उसके बाद ही हम ये घर छोड़ेंगे. उनका कहना है कि बिल्डिंग नहीं बाहर सड़क पर मरें तो क्या ठीक होगा. 

हर बारिश मुंबई में हादसे और बीएमसी पर उँगली उठना आम है, पर कोविड और महंगाई के बीच ऐसे मजबूर परिवारों की समस्या का हल निकालना भी बड़ी चुनौती है.  वही, मुंबई के दादर में मौजूद इस जनार्धन अपार्टमेंट में 114 परिवार रहते है. जहाँ की पानी,बिजली सप्लाई काट दी गयी है. जिसके बाद यहां रहने वाले लोगों ने अदालत का दरवाज़ा खटखटा है.  जिन इमारतों को तत्काल ध्वस्त किया जाना चाहिए, उन्हें सी-1 के रूप में टैग किया जाता है. 

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