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This Article is From Apr 17, 2023

नई पेआउट पॉलिसी की वजह से Blinkit के कर्मचारी हड़ताल पर, पढ़े आखिर क्या है इनकी मांग ? 

नीति आयोग की 2020-21 देश में 77 लाख कामगार एप बेस्ड कंपनियों से जुड़े हैं. 2030 तक इनकी तादात 2.35 करोड़ होने की संभावना है.

नई पेआउट पॉलिसी की वजह से Blinkit के कर्मचारी हड़ताल पर, पढ़े आखिर क्या है इनकी मांग ? 
ब्लिंकइट एप में काम करने वाले कामगार हैं हड़ताल पर
नई दिल्ली:

देश की बड़ी एप बेस्ट कंपनी में से एक Blinkit बीते कुछ समय से सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. Blinkit की परेशानी की मुख्य वजह उसके यहां काम करने वाले कर्मचारी ही हैं. दरअसल, कंपनी के लिए काम करने वाले कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. इस वजह से Blinkit की सेवाएं देश के कई शहरों में प्रभावित हो गई हैं. कंपनी के लिए काम करने वाले कामगार Blinkit की नई पेआउट पॉलिसी की वजह से हड़ताल पर हैं. उनका कहना है कि नई पॉलिसी की वजह से अब उनकी आमदनी 40 से 50 फीसदी तक घट गई है. पहले जहां ये कर्मचारी 12 घंटे काम करने के बाद 1200 रुपये तक कमा लेते थे वहीं अब नई पॉलिसी के आने के बाद यह घटकर 500 से 700 रुपये के बीच रह गया है. अब कमाई मे आई इस गिरावट की वजह से इन कामगारों को अपना घर चलाने में भी मुश्किलें हो रही हैं.

कंपनी की इसी पॉलिसी के विरोध में यहां काम करने वाले कर्मचारियों ने हड़ता किया है. इन कर्मचारियों ने पहले कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए और बाद में कई ब्लिंकइट इनवेंटरी स्टोर पर काम करने वाले कामगारों से संपर्क कर उन्हें हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा. हल्ला बोल नाम के इस ग्रुप में दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम के हजारों कामगारों को जोड़ा गया है. Blinkit में काम करने वाले कामगारों को कहना है कि उन्होंने जब कंपनी के साथ काम करना शुरू किया था तो उन्हें हर ऑर्डर के लिए 50 रुपये मिलते थे , जिसे पिछले साल घटाकर 25 से 32 रुपये कर दिया गया. लेकिन इसे और घटाकर अब 10 से 15 रुपये प्रति ऑर्डर तक कर दिया गया है. साथ में दूर पर आधारित फीस कंपोनेंट को शामिल किया गया है. लेकिन भुगतान के इस फैसले से रोज की आमदनी 40 से 50 फीसदी घट गई है. 

कर्मचारियों ने सुनाया अपना दर्द 

Blinkit के लिए काम करने वाले ने एक कर्माचारी ने NDTV से अपनी समस्या बताई. इनका कहना है कि पेट्रोल का रेट बढ़ते जा रहा है. कंपनी अपना रेट बढ़ा रही है लेकिन हमारे जो राइडर हैं उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. हमसे स्टोर पर 12- 17 घंटे काम कराया जा रहा है लेकिन उसके बदले पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. हमारी मांग है कि कंपनी हमारी बात सुने और हमारी पुरानी आईडी शुरू की जाए. हम इतने में काम नहीं करेंगे. 

कंपनी ने ब्लॉक किया अकाउंट

अब सवाल ये है कि ये लोग कितने दिन हड़ताल पर रह सकते हैं. क्योंकि ये लोग रोज कमाने और खाने वाले लोग हैं. इसी डर से कई लोग हड़ताल में शामिल होने से बच भी रहे हैं. कई बार कंपनियों ने कामगारों को दिया जाने वाला पैसा घटा दिया लेकिन इसकी जानकारी तक नहीं दी गई. इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है अर्बन कंपनी ने 2021 ने अपनी नई पॉलिसी का विरोध कर रही सैकड़ों महिलाओं के खिलाफ केस दर्ज किया. इससे कामगारों ने डर के मारे हड़ताल खत्म कर दिया था. हालांकि, ब्लिंकइट ने ऐसा नहीं किया है लेकिन उससे कम भी कुछ नहीं किया है. हड़ताल में हिस्सा लेने वाले सैंकड़ों कामगारों के एकाउंट को ब्लॉक कर दिया है. हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के अकाउंट को भी टर्मिनेट कर दिया गया है.

Blinkit का बयान

कामगारों के हड़तला को लेकर Blinkit ने एक बयान भा जारी किया है. इस बयान में कहा गया है कि अभी गुरुग्राम और नोएडा में ही ज्यादा असर हुआ है. हम प्रशासन से मिलकर ये सुनिश्चित कर रहे हैं हमारे जो राइडर इन इलाकों में काम करना चाहते हैं उन्हें सुरक्षा के साथ काम करने दिया जाए. 

कामगारों ने बनाई यूनियन

एक औपचारिक यूनियन का ना होना या उसे ना बना पाना भी ऐसे कामगारों के लिए दिक्कत बढ़ा देती है. ऐसे में व्हाट्सएप के माध्यम से एक साथ आने का विकल्प बचता है. ऐसा ही एक ग्रुप फॉर्म किया गया है एप वर्कर्स यूनियन (AWU)के नाम से. जो तमाम एप आधारित कामगारों को एक होने का आह्वाहन कर रही है. 

क्या फायदा क्या नुकसान

ऐसी एप बेस्ड कंपनी में काम करने के फायदे हैं तो नुकसान भी हैं. यहां काम करने पर पैसा मिलता है. इसे दूसरे शब्दों में कहें तो काम के बदले पैसा मिलता और दूसरी तरफ कंपनी को भी पैसे के बदले काम मिलता है. वहीं, एप बेस्ड कंपनी को कामगारों को कोई नियमित तनख्वा नहीं देती. यहां काम करने वाले लोगों को ना ईपीएफ मिलता है और ना ही ग्रैचुटी मिलती है. साथ ही रोज कमाने रोज खाने वाले कामगारों को कई सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती है. 

फिलहाल इस क्षेत्र से जुड़े हैं 77 लाख कामगार

नीति आयोग की 2020-21 देश में 77 लाख कामगार ऐसे काम से जुड़े हैं.  2030 तक इनकी तादात 2.35 करोड़ होने की संभावना है. इनमें से 47 फीसदी मध्यम कौशल वाले काम से जुड़े हैं. 22 फीसदी उच्च कौशल वाले काम से जुड़े हुए हैं. 31 फीसदी कम कौशल वाले काम से जुड़े हैं. इन कामगारों के लिए नीति आयोग के प्रस्ताव में कई सुझाव सरकार के सामने रखे गए हैं. इन्हें रियाटरमेंट या पेंशन देने की भी बात है लेकिन ये अभी तक कागज पर ही है. 

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