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लोकसभा में प्रचंड बहुमत के साथ आई मोदी सरकार को अपने एजेंडे पर काम करने के लिए अब राज्यसभा में भी अड़चनों का सामना नहीं करना पड़ेगा. जिस तरह से समीकरण बन रहे हैं उसके हिसाब से अब बीजेपी के उच्च सदन में बहुमत के लिए सिर्फ 6 सांसद ही कम रहेंगे और इस लिहाज से समर्थन जुटाना उसके लिए आसान हो जाएगा. अभी एनडीए के 110 सांसद हैं. चार और सांसद पांच जुलाई को चुन कर आएंगे. यानी एनडीए की संख्या 114 हो जाएगी. 241 सीटों पर बहुमत का आंकड़ा 121 है यानी एनडीए बहुमत से 7 सीटें दूर रहेगी. सभी सीटें भरने पर बहुमत का आंकड़ा 123 है यानी एनडीए सिर्फ 9 सीटें दूर रहेगा. उसे बीजेडी, टीआरएस और वायएसआर कॉंग्रेस और एनपीएफ के 14 सांसदों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है.
10 बड़ी बातें
हाल ही में टीडीपी के 4 और इंडियन नेशनल लोकदल के एक राज्यसभा सांसद ने बीजेपी शामिल हुए हैं. इससे बीजेपी की ताकत बढ़ी है.
मोदी सरकार को पिछले कार्यकाल में कई अहम विधेयक इसलिए नहीं पास करा पाई थी क्योंकि उसके पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था.
इसके साथ ही अब विपक्ष के सामने बड़ी मुश्किल होगी क्योंकि अब किसी विधेयक को शायद ही वह रुकवा पाए या फिर संशोधन के लिए भेज पाए.
लेकिन तीन तलाक जैसों मुद्दों पर बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी क्योंकि उसकी सहयोगी जेडीयू समर्थन नहीं कर ही है और बीजेडी भी तैयार नहीं है.
राज्यसभा की 6 सीटों पर 5 जुलाई को चुनाव होना है. इसमें एक सीट पर एनडीए के सहयोगी राम विलास पासवान पहले ही चुने जा चुके हैं.
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब गुजरात की दोनों राज्यसभा सीटें (अमित शाह और स्मृति ईरानी वाली सीटें) बीजेपी के खाते में जाना तय है.
ओडिशा में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव होगा. जिसमें एक सीट बीजेपी के पास जाना तय है.
18 जुलाई को तमिलनाडु की 6 सीटों पर चुनाव होना है. यहां बीजेपी के पास कोई सीट जाते नहीं दिख रही है. इसमें अभी 4 पर एआईएडीएमके का कब्जा है. डीएमके और सीपीआई के पास एक-एक सीट है.
भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 75 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस 48 सदस्यों वाली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस 13-13 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी गैर-कांग्रेस-गैर भाजपा पार्टी हैं.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के विपरीत, एनडीए इस बार राज्यसभा में कम बाधाओं की उम्मीद कर रहा है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में अपने भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विधेयकों को मंजूरी देने में बाधा डालकर लोगों के जनादेश को नहीं दबाया जाना चाहिए.