बीजेपी विधायक संगीत सोम की फाइल फोटो
लखनऊ:
बीजेपी विधायक और मुज़फ्फरनगर दंगों के आरोपी संगीत सोम पर इल्ज़ाम लगा है कि वो 20 इस्लामी देशों में गोश्त बेचने वाली एक कंपनी के डायरेक्टर रह चुके हैं। सोम इसे झूठा इल्ज़ाम बताते हैं और कहते हैं कि वह पक्के हिन्दू हैं, जो गोश्त नहीं खाता, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड कुछ और कहते हैं। गौ मांस के खिलाफ सबसे ऊंची आवाज़ उठाने वाले बीजेपी एमएलए संगीत सोम पर आरोप है कि वह खुद कभी मांस का व्यापार करते थे।
सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि उनकी कंपनी का नाम अल-दुआ फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड था। एक रोज दादरी में अखलाक़ अपने क़ातिलों को सफाई दे रहा था कि उसने गौ मांस नहीं खाया। आज एक सफाई संगीत सोम दे रहे हैं। संगीत सोम ने कहा, 'मैं हिन्दू हूं…हिन्दू धर्म में पैदा हुआ हूं…और सभी रीति-रिवाजों को जनता हूं। हिंदू धर्म में मीट खाना भी पाप है, मैं तो अंडा भी नहीं खाता, मीट फैक्ट्री की बात तो दूर की है।'
लेकिन 27 मार्च 2008 तक जिस अल-दुआ फ़ूड प्रोसेसिंग कंपनी के संगीत सोम डायरेक्टर थे, उसकी वेबसाइट बताती है कि कंपनी क़रीब 20 इस्लामी मुल्कों में बकरे, भेंड़, मेम्ने और भैंस का गोश्त बेचती है। वेबसाइट पर भैंस के जिस्म के अलग–अलग हिस्सों के गोश्त की नुमाइश है और मुसलमान खा सकें इसलिए हलाल गोश्त बेचने का वादा भी है। अल दुआ कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक़ कंपनी बकरे और मेम्ने के कंकाल और उसके टुकड़े भी बेचती है। यही नहीं इन जानवरों के जिस्म के वे हिस्से भी बेचती है, जो इंसानी खुराक नहीं बन सकते।
अलीगढ़ में अल-दुआ फ़ूड प्रोसेसिंग कंपनी के डायरेक्टर की हैसियत से संगीत सोम ने सन 2005 में जो ज़मीन खरीदी थी, उसकी रजिस्ट्री की सर्टीफाइड कॉपी NDTV ने रजिस्ट्रार ऑफिस से हासिल की है। इसी कंपनी के डायरेक्टर की हैसियत से 23 जून 2003 को उनके नाम एक ज़मीन का दाखिल-ख़ारिज भी हुआ है, जिसकी कॉपी भी NDTV के पास है। उनके कुछ ज़मीन सौदों की जांच सरकार करा रही है।
वहीं, उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री शिवपाल यादव कहते हैं, 'मुझे यह जानकारी मिली है कि वन विभाग की 500 एकड़ और लगभग 500 एकड़ एयरफोर्स की ज़मीन को भाजपा के विधायक संगीत सोम ने बेच डाला। ऐसे और बहुत सारे फर्ज़ी मामले निकलेंगे। अब जांच चल रही है, पता चलेगा।' शायद वक़्त-वक़्त की बात है कि गोश्त को मुद्दा बनाने वाले सोम गोश्त के लिए मुद्दा बन गए हैं।
सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि उनकी कंपनी का नाम अल-दुआ फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड था। एक रोज दादरी में अखलाक़ अपने क़ातिलों को सफाई दे रहा था कि उसने गौ मांस नहीं खाया। आज एक सफाई संगीत सोम दे रहे हैं। संगीत सोम ने कहा, 'मैं हिन्दू हूं…हिन्दू धर्म में पैदा हुआ हूं…और सभी रीति-रिवाजों को जनता हूं। हिंदू धर्म में मीट खाना भी पाप है, मैं तो अंडा भी नहीं खाता, मीट फैक्ट्री की बात तो दूर की है।'
लेकिन 27 मार्च 2008 तक जिस अल-दुआ फ़ूड प्रोसेसिंग कंपनी के संगीत सोम डायरेक्टर थे, उसकी वेबसाइट बताती है कि कंपनी क़रीब 20 इस्लामी मुल्कों में बकरे, भेंड़, मेम्ने और भैंस का गोश्त बेचती है। वेबसाइट पर भैंस के जिस्म के अलग–अलग हिस्सों के गोश्त की नुमाइश है और मुसलमान खा सकें इसलिए हलाल गोश्त बेचने का वादा भी है। अल दुआ कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक़ कंपनी बकरे और मेम्ने के कंकाल और उसके टुकड़े भी बेचती है। यही नहीं इन जानवरों के जिस्म के वे हिस्से भी बेचती है, जो इंसानी खुराक नहीं बन सकते।
अलीगढ़ में अल-दुआ फ़ूड प्रोसेसिंग कंपनी के डायरेक्टर की हैसियत से संगीत सोम ने सन 2005 में जो ज़मीन खरीदी थी, उसकी रजिस्ट्री की सर्टीफाइड कॉपी NDTV ने रजिस्ट्रार ऑफिस से हासिल की है। इसी कंपनी के डायरेक्टर की हैसियत से 23 जून 2003 को उनके नाम एक ज़मीन का दाखिल-ख़ारिज भी हुआ है, जिसकी कॉपी भी NDTV के पास है। उनके कुछ ज़मीन सौदों की जांच सरकार करा रही है।
वहीं, उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री शिवपाल यादव कहते हैं, 'मुझे यह जानकारी मिली है कि वन विभाग की 500 एकड़ और लगभग 500 एकड़ एयरफोर्स की ज़मीन को भाजपा के विधायक संगीत सोम ने बेच डाला। ऐसे और बहुत सारे फर्ज़ी मामले निकलेंगे। अब जांच चल रही है, पता चलेगा।' शायद वक़्त-वक़्त की बात है कि गोश्त को मुद्दा बनाने वाले सोम गोश्त के लिए मुद्दा बन गए हैं।
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