गिरफ्तार तरुण सेनगुप्ता स्वयं को बीजेपी के आसनसोल जिले का आईटी प्रभारी बताता है...
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक नेता को 'फर्ज़ी ख़बर फैलाने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने' के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, यह जानकारी राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने ट्विटर पर दी है.
गिरफ्तार किए गए शख्स का नाम तरुण सेनगुप्ता है, और वह सोशल मीडिया पर स्वयं को बीजेपी के आसनसोल जिले का आईटी प्रभारी बताता है. तरुण पर आरोप है कि उसने सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर फर्ज़ी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए.
कोलकाता के निकट उत्तरी 24 परगना जिले में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के बाद राज्य में की गई यह ताजातरीन गिरफ्तारी है, और इससे पहले पिछले सप्ताह कोलकाता पुलिस ने बताया था कि उन्होंने एक शख्स को भोजपुरी फिल्म से ली गई एक तस्वीर को उत्तरी 24 परगना जिले का दृश्य बताकर पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया था.
उस तस्वीर के सोशल मीडिया पर फैल जाने के बाद यूज़रों तथा Alt News जैसी सच्चाई तलाश करने वाली वेबसाइटों ने जानकारी दी थी कि वह तस्वीर वर्ष 2014 में रिलीज़ हुई भोजपुरी फिल्म 'औरत खिलौना नहीं' का एक दृश्य है.
उस तस्वीर की असलियत पता चलने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार को निशाना बनाते हुए उसे सोशल मीडिया पर शेयर करने वालों में विजेता मलिक भी शामिल थीं, जो बीजेपी की हरियाणा इकाई में पदाधिकारी हैं.
इसके अलावा पुलिस ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगों की एक तस्वीर को बशीरहाट में फैली सांप्रदायिक हिंसा की तस्वीर बताकर पोस्ट करने के लिए बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ भी गैर-जमानती मामले दर्ज किए थे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी, "फर्ज़ी तस्वीरें और वीडियो फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी... कानून अपना काम करेगा..."
दरअसल, एक 17-वर्षीय किशोर द्वारा फेसबुक पर पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ एक पोस्ट डालने के बाद मुस्लिमों के भड़क उठने की वजह से उत्तरी 24 परगना जिले के बदुरिया और बशीरहाट इलाकों में हिंसा फैल गई थी. किशोर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.
पुलिस ने कई ट्वीट कर लोगों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और हिंसा भड़काने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे फर्ज़ी संदेशों और पोस्टों से प्रभावित नहीं होने की अपील की थी.
गिरफ्तार किए गए शख्स का नाम तरुण सेनगुप्ता है, और वह सोशल मीडिया पर स्वयं को बीजेपी के आसनसोल जिले का आईटी प्रभारी बताता है. तरुण पर आरोप है कि उसने सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर फर्ज़ी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए.
कोलकाता के निकट उत्तरी 24 परगना जिले में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के बाद राज्य में की गई यह ताजातरीन गिरफ्तारी है, और इससे पहले पिछले सप्ताह कोलकाता पुलिस ने बताया था कि उन्होंने एक शख्स को भोजपुरी फिल्म से ली गई एक तस्वीर को उत्तरी 24 परगना जिले का दृश्य बताकर पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया था.
उस तस्वीर के सोशल मीडिया पर फैल जाने के बाद यूज़रों तथा Alt News जैसी सच्चाई तलाश करने वाली वेबसाइटों ने जानकारी दी थी कि वह तस्वीर वर्ष 2014 में रिलीज़ हुई भोजपुरी फिल्म 'औरत खिलौना नहीं' का एक दृश्य है.
उस तस्वीर की असलियत पता चलने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार को निशाना बनाते हुए उसे सोशल मीडिया पर शेयर करने वालों में विजेता मलिक भी शामिल थीं, जो बीजेपी की हरियाणा इकाई में पदाधिकारी हैं.
इसके अलावा पुलिस ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगों की एक तस्वीर को बशीरहाट में फैली सांप्रदायिक हिंसा की तस्वीर बताकर पोस्ट करने के लिए बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ भी गैर-जमानती मामले दर्ज किए थे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी, "फर्ज़ी तस्वीरें और वीडियो फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी... कानून अपना काम करेगा..."
दरअसल, एक 17-वर्षीय किशोर द्वारा फेसबुक पर पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ एक पोस्ट डालने के बाद मुस्लिमों के भड़क उठने की वजह से उत्तरी 24 परगना जिले के बदुरिया और बशीरहाट इलाकों में हिंसा फैल गई थी. किशोर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.
पुलिस ने कई ट्वीट कर लोगों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और हिंसा भड़काने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे फर्ज़ी संदेशों और पोस्टों से प्रभावित नहीं होने की अपील की थी.
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